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    योगी आदित्यनाथ

    भारत में मिथकों की कमी नहीं है। अनपढ़ और गरीब वर्ग ही नहीं बल्कि पढ़े लिखे और रहिस वर्ग भी मिथकों का पालन करते है। मिथकों का डर इस कदर हावी है कि कोई भी इन बातों को चुनौती नहीं देना चाहता। मिथक सिर्फ आम लोगों से नहीं बल्कि राजनीति और राजनेताओं से भी जुड़े हुए होते है।

    नोएडा को लेकर भी एक मिथक ख़ास प्रचलित है कि मुख्यमंत्री रहते हुए जो भी कोई नोएडा गया है उसकी सरकार चली गयी है। इन बातों पर भले ही आप विश्वास ना करे लेकिन राजनेता यकीन करते है। यहीं कारण है कि 19 सालों के इतिहास में मायावती को छोड़ कोई भी नेता मुख्यमंत्री रहते हुए आज तक नोएडा नहीं गया है।

    अखिलेश यादव तो इस बात को इस कदर सच मानते थे कि अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा जाना तो दूर, नोएडा से जुड़े हर फैसले लेने में कतराते थे। अखिलेश अपने कार्यकाल में कभी यहां नहीं आए। नोएडा से जुड़े तमाम योजनाओं, और कार्यों को उद्घाटन और शिलान्यास अखिलेश लखनऊ से ही कर देते थे।

    भले ही तमाम राजनेता नोएडा जाने से डरते हो लेकिन योगी आदित्यनाथ ने वहां जाने का फैसला लिया है। मायावती के बाद योगी दूसरे ऐसे राजनेता है जो नोएडा जाने की हिम्मत कर रहे है

    नोएडा जाना है एक राजनीतिक फैसला

    यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर अक्सर यह आरोप लगता है कि वो धार्मिक आडंबरों और क्रियाकलापों से घिरे रहते है। योगी प्रदेश की जनता को इस यात्रा के बहाने विश्वास दिलाना चाहते है कि भले राजनेता होने के साथ साथ वो एक धार्मिक व्यक्ति भी है लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल नहीं कि वो मिथकों में विश्वास करते है।

    इस यात्रा से योगी ने एक और सन्देश दिया है कि प्रदेश का विकास उनके लिए महत्व रखता है और वो इस विकास के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा सकते है अब चाहे वो उनकी खुदकी मुख्यमंत्री की कुर्सी ही क्यों ना हो।

    नोएडा मेट्रो
    नोएडा मेट्रो

    नोएडा में 25 दिसंबर को नई मेट्रो लाइन सेवा का शुभारंभ होगा। इस प्रोग्राम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। 25 दिसंबर का दिन ख़ास इसलिए भी है क्यूंकि इसी दिन अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन है। गौर करने वाली बात यह भी है कि 25 दिसंबर के दिन ही मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।