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    योगी आदित्यनाथ

    भारतीय चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मोदी की सेना वाले बयान के लिए नोटिस भेजकर 5 अप्रैल तक जवाब मांगा हैं। इससे पहले चुनाव आयोग ने गाजियाबाद के डीएम से मामले की रिपोर्ट मांगी थी।

    बतादे कि, 1 अप्रैल को गाजियाबाद में हुई एक रैली के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री ने विपक्षी पार्टियों को निशाना बनाते हुए कहा कि जो कांग्रेस, सपा और बसपा के समय में असंभव था वह भाजपा सरकार ने संभव कर दिखाया। उन्होंने कहां कि कांग्रेस के लोग आतंकवादियों को बिरयानी खिलाते हैं और मोदी जी की सेना उनको सिर्फ गोली और गोला देती हैं। यह अंतर हैं कांग्रेस के लोग मसूद अजहर जैसे आतंकियों के लिए जी का इस्तेमाल करते हैं। मगर पीएम मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार आतंकियों के कैम्पों पर हमला कर उनका कमर तोड़ देती हैं।

    चुनाव आयोग ने पहले ही सभी राजनीतिक दलों को आदेश दिए था कि, चुनाव प्रचार में किसी भी तरह से सेना के कार्यों   को शामिल नही करना हैं।

    योगी के इस बयान पर सभी विपक्षी दलों ने आलोचना की और कहा की यह सशस्त्र बल का अपमान हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने योगी की इस टिप्पणी को चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक 2019 के लोकसभा में हार का डर से देश के जनादेश पर रौंद रहे हैं। योगी की मुख्यमंत्री के तौर पर शुन्य प्रर्दशन रहा हैं। इसलिए वह देश के सशस्त्र बल के बलिदान और वीरता के पिछे अपना मुह छुपाते फिर रहे हैं।

    वह लगभग 400 बच्चों के मौत के दोषी हैं। वह अपने सांसदीय क्षेत्र में बहुमत में हैं और इसके बावजूद भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर जैसे बलात्कार के आरोपी को बचा रहे हैं।

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