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    योगी आदित्यनाथ

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार पर आखिरकार अपनी चुप्पी और भगवान हनुमान पर किये गए उनकी टिप्पणी को हार की वजह के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

    इन विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ भाजपा के स्टार प्रचारक के तौर पर उभरे थे और बहुत ही आक्रामक अंदाज में चुनाव प्रचार किया था। पटना में उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस ने छल से ये चुनाव जीता है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने विनम्रता के साथ पराजय स्वीकार कर लिया है।

    उन्होंने कहा “कांग्रेस का झूठ जल्द ही बेनकाब हो जाएगा और इससे हमें ही मदद मिलेगी।”

    पटना के महावीर मंदिर मे पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा के फायर ब्रांड नेता ने कहा कि हार और जीत लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है सभी को दोनों खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए।

    उन्होंने कांग्रेस के हमला करते हुए कहा “हम जीतने के बाद अनाप शनाप नहीं बोलते है और हारने के बाद ईवीएम पर दोष भी नाही डालते लेकिन कांग्रेस हारती है तो ईवीएम पर ठीकरा फोडती है और जीतती है तो तुरंत ईवीएम की पूजा करना शुरू कर देते हैं।”

    आदित्यनाथ ने राजस्थान के चुनावी रैली में हनुमान को दलित बताये जाने पर कोई भी कमेंट करने से इंकार कर दिया। आदित्यनाथ के इस बयान पर काफी बवाल मचा था। उन्होंने राजस्थान में पार्टी की हार के लिए अपने बयान को जिम्मेदार मानने से भी इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैंने बजरंग बाली की जाति के बारे में कुछ नहीं कहा। मैंने केवल इतना कहा कि भगवान हनुमान आध्यात्मिकता में रहते हैं, और सभी जाति के लोगों में आध्यात्मिकता मौजूद है।”

    आदित्यनाथ ने 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कुल 74 रैलियों को संबोधित किया था। तेलंगाना में उन्होंने ओवैसी बंधुओं के खिलाफ काफी बयानबाजी की थी लेकिन वहां भी पार्टी को सिर्फ 1 सीट से ही संतोष करना पड़ा जबकि 2013 में पार्टी को 5 सीटें मिली थी। योगी ने जिन जिन सीटों पर प्रचार किया था उनमे से अधिकतर सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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