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    योगराज सिंह

    युवराज सिंह, प्रतिभाशाली भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने सोमवार को अपने सन्यांस का ऐलान किया था, उनका उनके पिता योगराज सिंह के साथ एक अजीब समीकरण रहा है। भले ही उन्होंने यह स्वीकार करने से कभी इनकार नहीं किया कि यह उनके पिता थे जिन्होंने उन्हें एक सफल क्रिकेटर बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी, उनके पास उनके खिलाफ शिकायतों का एक हिस्सा भी था। दोनों के बीच वर्षों से एक ठंढा रिश्ता था और यह केवल हाल ही में था कि दोनों के बीच अपने मतभेदों को दफनाने के लिए एक बातचीत थी।

    योगराज, पूर्व भारतीय क्रिकेटर रह चुके है और उन्होने 1980 के दशक में भारत के लिए एक टेस्ट और 6 वनडे मैच खेले थे, लेकिन उन्होने जल्द अपने करियर पर पर्दा डाल दिया था और वह भारतीय क्रिकेट की ज्यादा सेवा नही कर पाए थे। यहां तक की उन्होने कहा कि युवराज सिंह को खो-खो खेलते वक्त धुटने में चोट नही आती अगर ग्रेग चैपल कोच नही होते- और वह सभी वनडे और टी-20 रिकॉर्ड तोड़ देते।

    युवराज ने भारत के लिए 2000 से 2017 के बीच 304 वनडे मैच खेले है जिसमें उन्होने 8701 रन और 111 विकेट चटकाए है। वही 58 टी-20 मैचो में उनके नाम 1177 रन और 28 विकेट है। युवराज ने भारत के लिए 40 टेस्ट मैच भी खेले है लेकिन टेस्ट क्रिकेट कभी उनका पसंदीदा प्रारुप नही रहा और उन्होने पाकिस्तान की धरती पर एक शतक मारा है।

    युवराज सिंह को खो-खो खेलते वक्त अंगूठे पर चोट आई थी

    योगराज सिंह ने इंडियन एकस्प्रेस के हवाले से कहा, ” जब ग्रेग चैपल कोच थे तो युवराज को खो-खो खेलते वक्त घुटने पर चोट आई थी, अगर वह कोच नही होते तो ऐसा कभी नही होता और वह सारे वनडे और टी-20 अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ देता है।”

    “चैपल के युग के दौरान भारतीय टीम ने नेट सत्रों से पहले वार्म-अप के लिए स्वदेशी खेल खेला। मैं इसके लिए चैपल को माफ नहीं कर सकता।”

    61 साल के योगराज ने यह कहते हुए अपने बेटे के साथ सहमति जताई कि वास्तव में उनका युवराज के साथ वर्षों के साथ एक ठंढा रिश्ता रहा है, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्होंने हाल ही में चंडीगढ़ में युवराज के साथ मतभेदों को दूर करने के लिए कुछ गुणवत्ता समय बिताया। युवराज ने पहले कहा था कि उनके पिता के साथ चैट ने उनके अंदर के सभी “राक्षसों” को उनके प्रारंभिक वर्षों के दौरान मार डाला जब उन्होंने अपने पिता को “ड्रैगन” माना।

    योगराज ने कहा, ” पिछले हफ्ते, हमने चंढीगढ़ में दो हफ्ते साथ बिताए और यह दो दिन मेरे सबसे अच्छे दिन थे जब से युवराज ने खेलना शुरु किया। हमने उस दौरान बहुत सी चीजो के बारे में बात की, जिसके बारे में हमने पहले कभी बात नही की थी। उसने मुझे समझने का प्रयास किया। आज, जब उसने मुझे धन्यवाद किया कि मैंने उसे इंसान बनाया है तो मुझे गर्व महसूस हो रहा था।”

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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