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    ओआईसी

    इस्लामिक सहयोग संगठन नर फिलिस्तीन की जनता के अधिकारों के प्रति और येरुशलम को राजधानी बनाकर एक संप्रभु फिलिस्तीन राज्य की स्थापना के प्रति अपने समर्थन को दोहराया है। मेक्का में 14 वें इस्लामिक सहयोग बैठक का आयोजन किया गया था।

    सऊदी अरब के बादशाह सलमान ने कहा कि “ओआईसी की आधारशिला का कार्य फिलिस्तीन है और यह हमारे ध्यान में यह टैब तक रहेगा जब तक अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रस्तावों और अरब शांति पहल के द्वारा फिलिस्तीन जनता को उनके कानूनी अधिकार नही मिल जाते।”

    इस सम्मेलन में वार्ता फिलिस्तीन और येरुशलम के मुद्दे के इर्द गिर्द ही घूमती रही थी। साथ ही फिलिस्तीन की जनता को जब तक उनके राष्ट्रीय अधिकार नहीं मिल जाते उन्हें सभी स्तरों पर समर्थन करना जारी रहेगा।

    साथ ही बैठक में अमेरिका द्वारा येरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने की भी आलोचना की गई थी। इजराइल के अवैध कब्जे को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने खारिज किया था।

    इजराइल की राजधानी के तौर पर येरुशलम को मान्यता देना गैर कानूनी और गैर जिम्मेदाराना है। किसी भी देश के ऐसे निर्णय को खाली और खोखला करार दिया गया है जो किसी फिलिस्तीन की जनता और इस्लामिक दुनिया के इतिहास, कानून और राष्ट्रीय अधिकारों का हनन है।

    संयुक्त राष्ट्र के बाद ओआईसी दूसरा सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संघठन है। इसमें चार महाद्वीप के 57 देश सदस्य है।ऑर्गनइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन का गठन साल 1969 में हुआ था, जिसमे 57 राष्ट्र शामिल है और 40 मुस्लिम प्रमुख राष्ट्र हैं।

    इजराइल समस्त येरुशलम पर अपना हक़ मानता है जबकि फिलिस्तीन पूर्वी येरुशलम पर अपने अधिकार का दावा करता है। इस इलाके को इजराइल ने साल 1967 में जंग के दौरान अपने अधिकार में लिया था। येरुशलम में तीन धर्मों यहूदी, मुस्लिमों और ईसाईयों के पवित्र स्थल मौजूद है।
    साल 1993 में इजराइल और फिलिस्तीन के मध्य एक शांति समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों राष्ट्रों के मध्य अभी बातचीत होना बाकी है। येरुशलम में इजराइल में कई निर्माण कार्य किये हैं, यहाँ 2 लाख यहूदी निवास करते हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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