चीन के काश्गर से पाकिस्तान के अरब में स्थित बंदरगाह को जोड़ने की 60 बिलियन डॉलर की परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है, इसलिए भारत इस परियोजना का विरोध करता रहा है।
यूरोपीय संसद के सदस्यों और विद्वानों ने सीपीईसी परियोजना की जमकर आलोचना की थी। उन्होंने इस परियोजना से अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के प्रभावित होने के आसार जताए हैं।
यूरोपीय संसद के सदस्य ज्यॉफ्री वैन ओर्देन ने सीपीईसी परियोजना की समीक्षा का कहा कि यह व्यापार पर नियंत्रण बनाने और चीनी सरकार को प्रभावशाली बनाने की नीति के तहत किया जा रहा है। ये सब सीपीईसी परियोजना से मुमकिन हो पायेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में चीन के निवेश से इस्लामाबाद बीजिंग के कर्ज में डूब जायेगा। उन्होंने कहा कि संभव है कि पाकिस्तान खुद को ऐसी स्थिति में पाए, जहां से इस समस्या का समाधान केवल ताकत, स्वतंत्रता और संप्रभुता का हस्तांतरण ही हो।
जानकार डॉक्टर पॉल स्कॉट के मुताबिक पाकिस्तान अमेरिका और पाकिस्तान के साथ रहकर अपने परों को काट रहा है। डॉक्टर मेथ्यु ने बताया कि चीन और पाकिस्तान के ऐतिहासिक रिश्ते हैं और सीपीईसी परियोजना दोनों राष्ट्रों के संबंधों को मज़बूत करने का एक प्राकृतिक तरीका है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ के मुकाबले चीन से आर्थिक मदद लेना पाकिस्तान के लिए फायदेमंद है। क्योंकि आईएमएफ पाकिस्तान के समक्ष कई शर्ते रख रहा है। उन्होंने बताया कि सीपीईसी परियोजना पाकिस्तान की समृद्धि में बेहद कम असर दिखाएगी।
चीन पाक आर्थिक गलियारे परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगिट बाल्टिस्तान इलाके से होकर गुजरेगी। ख़बरों के मुताबिक इस परियोजना के कारण इस इलाके में हिंसा हो रही है। बलोच वोइस एसोसिएशन की सदस्य ने सीपीईसी परियोजना का बलूचिस्तान के नागरिकों पर नकारात्मक असर के बारे में चर्चा की थी।
यूनाइटेड कश्मीर पीपल नेशनल पार्टी के जमील मक़सूद ने बताया कि इस लाखों की परियोजना के कारण पीओके में मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के बलूचिस्तान और पीओके से कई कार्यकर्ताओं के गायब होने की खबरे आई थी, ख़बरों के मुताबिक यह सभी पाकिस्तान में इस परियोजना का विरोध कर रहे थे। इस मसले को अंतर्राष्ट्रीय संघ की सभा में भी उठाया था।