उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद(यूपी बोर्ड) ने रविवार को दसवी और बारहवी कक्षा के परीक्षा परिणामों को घोषित किया।
यूपी बोर्ड के रिजल्ट में इस बार पिछले वर्ष की अपेक्षा गिरावट दर्ज हुई हैं। इस वर्ष के परीक्षा परिणामों में करीब 150 स्कूलों के सभी छात्र अनुतीर्ण (फेल) हुए हैं। इन 150 स्कूलों का कोई भी विद्यार्थी 0 से ज्यादा अंक लाने में असफल रहे हैं। यह घटना अपने आप में आश्चर्यजनक हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने संबंधित स्कुलों से इस विषय में जवाब मांगा हैं। इस घटना से प्रदेश में शिक्षा की स्थिती और गुणवत्ता का पता चलता हैं।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव श्रीमती नीना श्रीवास्तव के अनुसार 98 स्कूलों में दसवी का रिजल्ट शून्य प्रतिशत वही 52 स्कूलों में बारहवी का रिजल्ट भी शून्य प्रतिशत हैं। सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों की स्थिती में कुछ अंतर नहीं हैं। बोर्ड इन परिणामों की समीक्षा करेगा और जरुरत पड़ने पर संबंधित विद्यालयों के मुख्याध्यापकों से जवाब पूछा जाएगा।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इस साल नक़ल रोकने के लिए सख्त कदम उठाये थे। इस साल प्रदेश के 75 में से 50 जिलों को बोर्ड द्वारा संवेदनशील दर्जा दिया गया था। गाजीपुर जिले को अति संवेदनशील बताया गया था। जिले के कुल 17 स्कूलों के सभी छात्र फ़ैल हो चुके हैं, इनमे 11 स्कूलों के सभी छात्र दसवी में और 6 स्कूलों के सभी छात्र बारहवी की परीक्षा मैं फ़ैल हो चुके हैं।
अलाहाबाद जिले की अंजली वर्मा ने इस साल की बोर्ड परिक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त किया हैं। अलाहाबाद जिले की तस्वीर कुछ भिन्न नहीं हैं, जिले के 6 विद्यालयों का रिजल्ट 0 प्रतिशद हैं।
आश्चर्यजनक तरीके से लाखों परीक्षार्थी अपनी मातृभाषा हिंदी में भी पास नहीं हो सके। 11 लाख से ज्यादा छात्र हिंदी विषय में सफल नहीं हो पाए हैं। इनमें दसवी के सात लाख 81 हजार 276 परीक्षार्थी हिंदी विषय में फेल हो गये, जबकि बारहवीं में यह संख्या 3 लाख 38 हजार 776 है।
उत्तर प्रदेश में शिक्षा का स्तर दयनीय हो चूका हैं, प्रदेश की सरकार चुनावी रंजिशों में व्यस्त हैं ऐसा प्रतीत होता हैं। अगर शिक्षा स्तर नहीं सुधारा गया तो आने वाले समय में युवाओं के पास डिग्री तो होंगी मगर काम नहीं होगा। सरकार को शिक्षा के प्रति अपने और लोगों के रुख को बदलना पड़ेगा।