कर्नाटक में चुनावी रंजिश के बाद सरकार गठन, शक्ति परिक्षण से लेकर मंत्री परिषद के खातों के बटवारे तक कई उतार चढाव देखे गए। कांग्रेस और जेडीएस की सरकार बनने और पांच साल तक सरकार चलाने के उनके निर्णय के बाद कर्नाटक में स्थिती सामान्य होने के संकेत हैं।
आपको बतादे, उत्तर प्रदेश के बाहर, खासकर कर्नाटक में पहली बार बसपा के विधायक निर्वाचित होकर सदन पहुंचे हैं। विपक्षी एकता का परिचय देते हुए बहुजन समाज पार्टी के कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन के समर्थन में हैं।
जेडीएस के एच डी कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री पद के शपथग्रहण में पहुंची बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक एन रमेश को मंत्री परिषद में जगह दिलाने की कवायत शुरू कर दी थी और गौरतलब है, की मायावती की इस मांग को जेडीएस और कांग्रेस ने मान लिया हैं। आज बुधवार को होने वाली शपथग्रहण समारंभ में नौ विधायक पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे, इन नौ विधयाकों में से एक बसपा विधायक एन रमेश भी हो सकते हैं।
पार्टी अध्यक्ष मायावती के राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद, सदन में बहुजन समाज पार्टी का नेतृत्व कर रहे और मायावती के करीबी माने जाने वाले सांसद, सतीश चन्द्र मिश्र ने रिपोर्टर्स को दिए साक्षात्कार में कहा, “हमें(और पार्टी को) ख़ुशी हैं, की उत्तर परदेश के बाहर पहली बार हमारे विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे।”
पिछले दिनों लखनऊ में हुए बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लेने पहुंचे कर्नाटक में पार्टी के विधायक एन रमेश ने पार्टी अध्यक्ष मायावती जी से मुलाकात की। कर्नाटक में सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा होने के कारन, सरकार के कार्यकाल के विषय में पूछे गए सवाल का उत्तर देते हुए एन रमेश ने कहा, “हमें उम्मीद हैं, कुमारस्वामी जी के नेतृत्ववाली सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण करेगी।” कांग्रेस और जेडीएस के बीच विवादों का सीरे से खंडन करते हुए उन्होंने कहा, “दोनों दलों के बीच पूर्ण सहमति हैं और विवादों की कोई आशंका नहीं हैं।”
कर्नाटक का सत्ता समीकरण
आपको बतादे, कर्नाटक में बीजेपी के शक्ति परिक्षण में विफल होने के बाद, कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन वाली सरकार सत्ता में आई और उन्होंने विधानसभा में बहुमत प्राप्त किया। जेडीएस के नेता एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठित सरकार में 78 विधायक कांग्रेस के और शेष जेडीएस के है और एक विधायक बसपा का हैं।
224 सदस्यों वाले कर्नाटक विधानसभा में नियम के अनुसार अधिकतम 32 विधायक मंत्री पद ग्रहण कर सकते हैं। जेडीएस को एच डी कुमारस्वामी के रूप में मुख्यमंत्री पद देने के बाद, दोनों दलों में संभावित मंत्री परिषद् के विषय में कांग्रेस मुख्यालय में बैठक हुई उसके अनुसार 22 मंत्री कांग्रेस और शेष 10 जेडीएस के होंगे।
अब बहुजन समाज पार्टी को एक मंत्री पद देने के बाद, कांग्रेस और जेडीएस के क्रमशः 22 और 9 मंत्री होंगे।
इस संभावित मंत्री परिषद् और एकत्रित रूप से विपक्षी एकता को आनेवाले 2019 के आम चुनावों में बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के कवायत के रूप में देखा जा रहा हैं। कर्नाटक में सरकार अपने चुनावी वादे पूरी करती हैं या नहीं यह टो आनेवाला समय ही बताएगा, लेकिन सद्यस्थिती में वे एकजुट है और एकता का प्रदर्शन कर रहे हैं।