यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम जिसकी लोग प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषणा की अपेक्षा कर रहे हैं उसे सब्सिडी से बेहतर विकल्प माना जा रहा है। इसके लिए 2013 में कुछ परिक्षण किये गए थे जिनका परिणाम आया की इससे लोगों के जीवनयापन स्तर में बढ़ोतरी देखने को मिली थी।
क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम :
यूनिवर्सल बेसिक स्कीम के तहत देश के हर नागरिक के बैंक खाते में सीधे एक फिक्स्ड अमाउंट ट्रांसफर किया जाएगा।
- इस योजना के तहत लोगों की सामाजिक और आर्थिक अवस्था मायने नहीं रखती है।
- यूबीआई की सबसे खास बात है कि यह सबके लिए होगा. यह किसी खास वर्ग को टारगेट करके नहीं लागू किया जाएगा।
- यह बिना शर्तों का होगा यानी किसी व्यक्ति को अपनी रोजगार की स्थिति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति को साबित करने की जरूरत नहीं होगी।
- यूबीआई के तहत सिर्फ जीरो इनकम वाले लोगों को ही इस सुविधा का पूरा लाभ मिलेगा।
- ऐसे लोग जिनकी बेसिक इनकम के अलावा भी आमदनी का जरिया होगी, उनके इनकम पर टैक्स लगाकर सरकार फायदे को कंट्रोल करेगी।
इस तरह है यह स्कीम बेहतर :
यदि यह स्कीम लांच की जाती है तो विशेषज्ञों का मानना है की इससे लोगों को दूसरी योजनाओं की तुलना में ज्यादा फायदा होगा। यह परिक्षण करने के लिए 2013 में मध्यप्रदेश के गाँवों में परिक्षण किये गए थे। इसके अंतर्गत दो सामान्य गाँव लोइए गए थे और दो आदिवासी गाँव लिए गए थे। इस परीक्षण के अंतर्गत एक आदिवासी गाँव और एक सामान्य गाँव को यूनिवर्सल स्कीम के लाभ दिए गए थे और बचे हुए एक आदिवासी और सामान्य गाँवों को ये लाभ नहीं दिए गए थे।
इस परिक्षण को 17 महीनो तक चलाया गया था। इसके परिणाम कुछ इस तरह थे : जिस आदिवासी गाँव में यूनिवर्सल स्कीम दी गयी थी उस गाँव में दुसरे आदिवासी गाँव की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक लोगों ने बैंक खाते खुलवाये थे। इसके साथ इनकम मिलने वाले गाँव के लोगों ने दुसरे गाँव की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक लोगों ने शौचालय बनवाये थे। बतादें की यह स्वच्छता अभियान से पहले हुआ था।
बेहतर यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम लांच करने की ज़रुरत :
परिक्षण से पता चला की सरकार को यदि आशा के अनुरूप परिणाम हासिल करने के लिए यूनिवर्सल स्कीम का बेहतर रूप लांच करना होगा जिसमे लोगों को ज्यादा सुवोधा दी जाए। इसके साथ ही जबतक की यह स्कीम पूरी तरह लांच नहीं हो जाती है तबतक सब्सिडी की योजनाओं को नहीं हटाना चाहिए।
इकनोमिक सर्वे में यह तर्क दिया गया था की इनकम स्कीम पूरी तरह लांच करने से पहले ही यदि सब्सिडी की सेवा हटा ली जाती है तो कम वेतन वाले परिवारों को झटका लगेगा और वे साधारण सुविधाएं नहीं खरीद पायेंगे और उन्हें फसल से संबंधित सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल पायेगा।
मोदी सरकार के लिए UBI लांच करना होगा कठिन :
मोदी सरकार के लिए यूनिवर्सल बड़क इनकम स्कीम लांच करना कई कारकों के कारण मुश्किल साबित हो सकता है। इनमे से कुछ कारक खाद्य सब्सिडी जिसके लिए सरकार को हर वर्ष 170000 करोड़ रुपयों की ज़रुरत होती है और इसके अलावा मनरेगा जिसमे हर साल कुल अतिरिक्त 55000 करोड़ रूपए लगते हैं।
यदि ये सभी सब्सिडी एवं योजनाएं लागू रहती हैं तो इनके साथ साथ UBI लागू करना और चलाना मोदी सरकार के लिए बहुत मुश्किल होगा क्योंकि पहले से ही वित्तीय घाटा हो रहा है और अब नयी स्कीम के लिए सरकार के पास पर्याप्त वित्त नहीं है।
यदि सरकार इस स्कीम को दूसरी सभी स्कीम के साथ लांच करती है तो इसे लगभग 7000 करोड़ रुपयों का अत्तिरिक्त वित्त चाहियेगा। इसके साथ कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है की यदि ऐसी स्कीम लांच की जाती है तो यह समाज पर बुरा असर डाल सकती है। इससे लोग अपना काम छोड़कर घर बैठ सकते हैं जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पद सकता है।