एक अप्रत्याशित कदम में यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) ने भारतीय निर्मित कोविशील्ड को मान्यता प्राप्त टीकों की सूची में तो जोड़ा लेकिन भारत में वैक्सीन प्राप्त करने वालों को दिए गए वैक्सीन प्रमाणपत्रों को मान्यता देने से इनकार कर दिया। इस निर्णय का अर्थ है कि यूके जाने वाले भारतीय यात्री अभी भी 10-दिवसीय आइसोलेशन नियमों के अधीन होंगे। हालांकि इस से दोनों देशों के बीच दरार को और बढ़ावा देने की उम्मीद है क्योंकि भारत ने इस प्रक्रिया को पहले ही “भेदभावपूर्ण अभ्यास” कहा था। इसके साथ ही भारत ने इस प्रक्रिया के खिलाफ पारस्परिक उपायों की धमकी दी थी।
ब्रिटिश और भारतीय अधिकारियों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि “वैक्सीन प्रमाणन” पर चल रही चर्चा जल्द ही हल हो जाएगी लेकिन वे यह पुष्टि नहीं कर सका कि कब तक इस समस्या का हल निकल पायेगा। 4 अक्टूबर से अपनाए जाने वाले संशोधित यूके सरकार के नियमों के अनुसार, “चार स्वीकृत टीकों [एस्ट्राजेनेका, फाइजर बायोएनटेक, मॉडर्न और जानसेन] के फॉर्मूलेशन, जैसे एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड, वैक्सजेवरिया और मॉडर्न टाकेडा स्वीकृत टीकों के रूप में योग्य हैं।”
हालाँकि भारत अभी भी “एम्बर देशों” की सूची में बना हुआ है और इसे अभी उस सूची में शामिल नहीं किया गया है जिसके “सार्वजनिक स्वास्थ्य निकायों” को टीकाकरण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए मान्यता दी गई थी। यूके ने कनाडा, डेनमार्क, एंटीगुआ और बारबुडा सहित 18 देशों को “ग्रीन लिस्ट” के लिए मंजूरी दी जिससे उन देशों के पूरी तरह से टीकाकरण वाले यात्रियों को बिना किसी क्वॉरंटीन आवश्यकताओं के यूके के लिए उड़ान भरने की अनुमति मिल गई।
नवीनतम यूके यात्रा मार्गदर्शन नियम और कोविशील्ड की मान्यता का अर्थ है कि ‘ग्रीन लिस्ट’ देशों का एक यात्री जिसे कोविशील्ड वैक्सीन का टीका लगाया गया है वह बिना आइसोलेशन के यूके की आदान भर सकता है।
यूके के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने बुधवार को एक साक्षात्कार में समाचार चैनल एनडीटीवी को बताया, “कोविशील्ड कोई मुद्दा नहीं है [लेकिन] प्रमाणीकरण पर भारत एक एम्बर देश है और भारत में अभी भी कुछ कोविड मामले हैं।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में अपने ब्रिटिश समकक्ष एलिजाबेथ ट्रस से मुलाकात के एक दिन बाद यूके से कोविशील्ड वैक्सीन की स्थिति और भारतीय यात्रियों के लिए 10-दिवसीय संगरोध के मुद्दे को संबोधित करने का आग्रह किया।