विश्व जहां पूंजीवादी की राह पर अग्रसर है वहां रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरते महज गरीबों के चूल्हे, जिस्म और दरख्त तक सीमित रह गयी है। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सेना ने कहा कि भुखमरी, जलवायु परिवर्तन और मानवनिर्मित विवाद का बढ़ना एक भयंकर तूफ़ान के आगमन का संकेत दे रहा है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बेअसले ने कहा कि एक तूफ़ान विश्व के सिर पर मंडरा रहा है। हमें विश्व खाद्य दिवस पर इस समस्या का उचित निवारण आवश्यक है। उन्होंने कहा इस युद्ध पर विजय हासिल करना जरुरी है। विश्व की टहनियां मासूम बच्चे कुपोषण और भूखमरी के कारण हर पांच से दस सेकंड प्रतिदर से जान गवां रहे हैं।
भोजन को बनाने की प्रक्रिया और आमजनों के रसोईघरों में खाने की बर्बादी के बाबत प्रमुख ने कहा कि यह केवल रोम में नहीं विश्व के हर कोने में हों रहा है। यह आपके घरों में हो रहा है। इसके लिए क्या किया जा सकता है।
डेविड बेअसले ने कहा यह समस्या नहीं है कि विकसित देश की अमीर जनता इसे नज़अंदाज़ करती है हालाँकि इसका असर उन पर आप्रवासियों संकट के समय पड़ेगा। उन्होंने कहा एक फीसदी भूखमरी बढ़ने से दो फीसदी प्रवासी बढ़ते हैं।
युएन प्रमुख ने कहा कि गत वर्ष कि हंगर रिपोर्ट के मुताबिक इस ग्रह में लगभग 821 मिलियन लोग और हर 9 में से 1 भूखमरी का शिकार है। लगातार तीसरी बार इसमें इज़ाफ़ा हुआ है। खाद्य एवं कृषि संघठन के मुताबिक पांच वर्ष के 155 मिलियन बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं। वहीँ 600 मिलियन लोग मोटापे का शिकार हैं। सैन्य विवादों और धूम्रपान के कारण मोटापे की बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है।
पोप फ्रांसिस ने भाषण के दौरान कहा कि अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता कमजोर पड़ती दिख रही है। उन्होंने राष्ट्रों को चेताया कि जनता को भुखमरी से निजात दिलाने के लिए गरीबों की जड़ता का आंकलन न करे। उन्होंने कहा कि भुखमरी के कारण मालूम करने और आंकड़े जारी कर देना काफी नहीं है।
भुखमरी से लड़ने के लिए आर्थिक मदद की जरुरत होगी। व्यापार बाधाओं को तोड़ना होगा। साथ ही आर्थिक संकट, जलवायु परिवर्तन और युद्ध के हालात विश्व के समक्ष एक गंभीर चुनौती पेश कर रहे हैं।