फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन ने कहा कि “अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की संयुक्त राष्ट्र में मुलाकात के लिए शर्तो को रखा गया है। हम आगे बढ़ने के अपने निर्णय पर बरक़रार है।” ईरान और अमेरिका के बीच काफी बढ़ गया है।
रूहानी-ट्रम्प की मुलाकात में शर्ते
ट्रम्प और रूहानी के साथ अलग-अलग मुलाकात में मैक्रॉन ने कहा कि “मुझे यकीन है कि वार्ता की टेबल पर जल्द वापस पंहुचने के लिए शर्तो को शामिल किया गया है। यह दोनों पक्षों पर निर्भर करता है। दोनों का प्रगति का एकसमान इरादा और तनाव को कम करने का सिर्फ कारण नहीं ढूंढना है बल्कि लम्बे समय की संधि का भी निर्माण करना है।”
अमेरिका और ईरान के बीच जारी संकट की कूटनीतिक समाधान के लिए रैंस के राष्ट्रपति अमेरिका और ईरान प् दबाव बना रहे हैं। उन्होंने बीते दो दिनों में रूहानी से दो दफा मुलाकात की थी और इससे पहले आर्थिक मदद का प्रस्ताव दिया था ताकि ईरान नेता को ट्रम्प के साथ वार्ता के लिए तैयार किया जा सके।
डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते वर्ष अमेरिका को साल 2015 में हुई परमाणु संधि से बाहर निकाल लिया था इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर सभी प्रतिबंधों को थोप दिया था। सोमवार को ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री बोरिस जॉनसन, फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से संयुक्त राष्ट्र में मुलाकात की थी।
तीनो देशो के नेताओं ने संयुक्त बयान में सऊदी अरब पर हुए तेल हमले के लिए ईरान को कसूरवार ठहराया था। फ्रांस ने तीनो देशो की तरफ से संयुक्त बयान में कहा कि “हमारे लिए यह स्पष्ट है कि ईरान को इस हमले की जिम्मेदारी लेनी होगी। इसके लिए कोई दूसरा स्पष्टीकरण नहीं है।”
14 सितम्बर को सऊदी अरब की तेल कंपनियों पर ड्रोन और क्रूज मिसाइल से हमला किया गया था। इस हमले की जिम्मेदारी यमन के हौथी विद्रोहियों ने ली थी। अमेरिका और सऊदी अरब ने इन हमले के पीछे ईरान का हाथ होने का आरोप लगाया था।
ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने सोमवार को कहा कि “होही विद्रोही झूठ बोल रहे हैं इस पर यकीन करने का कोई कारण नहीं है, जब उन्होंने सऊदी की तेल कंपनियों पर हमले की जिम्मेदारी ले ली है।