चीन (China) के राजदूत ने जिनेवा में गुरूवार को कहा कि “उन्हें उम्मीद है कि मानव अधिकार अध्यक्ष मिशेल बचेलेट चीन की यात्रा पर आएगी और उनका शिनजियांग (Xinjiang) में भी स्वागत है। शिनजियांग में शिक्षा प्रशिक्षण केन्द्र ने चरमपंथ को हटाने में और जनता को नए कौशल देने में मदद की है।”
पश्चिमी प्रान्त शिनजियांग में नजरबन्द शिविरों की स्थापना से चीन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई थी। यूएन के विशेषज्ञों ने इसे कैद केंद्र कहा था जहां 10 लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिमों को बंदी बनाकर रखा गया है।
यूएन के जेनेवा के मुख्यालय में चीनी राजदूत ने चेन सु ने कहा कि “हमें उम्मीद है कि उच्चायोग चीन की यात्रा करेंगे और वह खुद शिनजियांग के दौरे पर जायेंगे और खुद देखकर यकीन करेंगे। उच्चायोग के लिए यह निमंत्रण हमेशा बरक़रार है, हमे एक निश्चित वक्त की जरुरत है जो दोनों पक्षों की सहूलियत के लिए होगा।”
उन्होंने कहा कि “शिनजियांग में शिक्षण केन्द्रो युवा लोगो की कौशल को प्राप्त करने मदद करते हैं ताकि वह समाज के साथ दोबारा घुलने-मिलने के लिए सक्षम हो। वहां कथित पुनर्शिक्षण शिविर मौजूद नहीं है।” बचेलेट का दृष्टिकोण बातचीत और सहयोग है जो उनके पिछले महासचिव ज़िद राद अल हुसैन की विचारो से भिन्न है।
बचेलेट के दफ्तर से इस बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की गयी है। बचेलेट चिली की पूर्व राष्ट्रपति थी और अब वह अगस्त से मानव अधिकार उच्चायोग की महासचिव है। उन्होंने निरंतर चीन पर दबाव बनाया है कि वह लापता और कैद की रिपोर्ट्स तक पहुंच की संयुक्त राष्ट्र को अनुमति दे।
चीन ने इससे पूर्व कहा था कि “अगर यूएन के अधिकारी स्थानीय मामले में दख़लअंदाजी करने से बचते है तो उनका चीन में स्वागत करते है।” चीनी विदेश मंत्री ले युचेंग ने यूएन मानव अधिकार परिषद् को सम्बोधित करते शिनजियांग में बसे शिविरों का बचाव किया और कहा कि “इन शिविरों को उस वक्त बंद कर दिया जायेगा जब क्षेत्र से चरमपंथी विचारधारा का सफाया कर दिया जायेगा।”