इस्लामिक सहयोग संघठन ने बुधवार को कश्मीर में मानव अधिकार के बाबत गंभीर चिंता व्यक्त की है। भारत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था। ओआईसी की बैठक के बाद एक अधिकारिक बयान को जारी किया गया था। यह मुलाकात संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर आयोजित की गयी थी।
बयान के मुताबिक, भारत का मकसद अधिकृत जम्मू कश्मीर की भुगौलिक स्थिति और पहचान को बदलना था और इसे मुस्लिम बहुल राज्य से एक हिन्दू बहुल इलाके में परिवर्तित करना है, इसे पर संघठन के सभी सदस्यों ने अपनी गंभीर चिंता को व्यक्त किया है।
जम्मू कश्मीर पर कांटेक्ट ग्रुप की स्थापना साल 1994 में हुई थी ताकि जम्मू कश्मीर के संघर्ष में इस्लामिक परिषद् की नीति से समन्वय बनाया जा सके। बयान के मुताबिक, भारत की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप नहीं है। यूएन सुरक्षा परीक्षा परिषद् के नियमो और भारत की इन नियमो को लागू करने की खुद की प्रतिबद्धता इस कदम के खिलाफ है।
कश्मीर में कर्फ्यू, कश्मीरी जनता को जेलों में बंद रखें साथ ही नेताओं को नजरबन्द रखने की इस समूह ने कड़ी आलोचना की है। ओआईसी ने कहा कि दक्षिण एशिया और इसके परे शान्ति और स्थिरता के लिए समझौता आवश्यक है।”
समूह ने भारत से एकतरफा गैरकानूनी कार्रवाई को वापस लेने की मांग की है, अधिकृत जम्मू कश्मीर में मानव अह्दिकार के उल्लंघनो को रोकने की मांग की है। इसके साथ ही शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ बल के इस्तेमाल और कश्मीर से भारी संख्या में सैनिको की वापसी की मांग की है।