भारत ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को कश्मीर में अलगाववादी समूहों का समर्थन और आतंकियों को वित्तपोषण करने के लिए गिफ्तार कर कारावास में डाल दिया गया है। पाकिस्तान ने सोमवार को भारत की इस कार्रवाई की निंदा की है।
यासीन मलिक की गिरफ़्तारी
नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ने 10 अप्रैल को जेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को गिरफ्तार किया था। इससे पूर्व एजेंसी की दरख्वास्त पर जम्मू में विशेष एनआईए अदालत ने यासिर से हिरासत में पूछताछ करने की अनुमति दी थी। मलिक को पुलिस सुरक्षा में तिहार जेल शिफ्ट किया गया था।
यासिर मलिक को जम्मू कश्मीर पुलिस ने फरवरी में हिरासत में लिया था और जम्मू के कोट बलवल जेल में रखा था। बीते महीने केंद्र सरकार ने यासिर मलिक की जेकेएलएफ को प्रतिबंधित कर दिया था और यह सीबीआई के दो मामलो में भी संदिग्ध है।
साल 1989 केंद्रीय मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद का अपहरण कर लिया गया था और साल 1990 में चार भारतीय वायुसेना के सैनिकों को मार दिया गया था। जेकेएलएफ इन दोनों ही मामले की कथित आरोपी है।
पाकिस्तान ने की निंदा
पाकिस्तानी विदेश विभाग ने बयान जारी कर कहा कि “यासिर मलिक को निरंतर कैदखाने में रखने की पाकिस्तान कड़ी निंदा करता है और यासीन का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। 22 फरवरी से यासीन ने आरोपों को मात दी है। हम भारत सरकार से यासीन मालिक की बेहतर हालात सुनिश्चित करने की उम्मीद करते हैं। साथ ही उन्हें जेल में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधायें मुहैया की जाए।”
जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों के प्रति पाकिस्तान हमेशा संवेदनशील रवैया अपनाता है। कश्मीर के अलगाववादी बुरहान वानी की हत्या के बाद इस्लामाबाद ने उसकी सम्मान में डाक टिकट जारी किया था और इसके विरोध में भारत ने युद्ध सभा में भरतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तानी विदेश मंत्री से मुलाकात को रद्द कर दिया था। हाल ही में पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने हुर्रियत कांफ्रेंस से भी संपर्क साधा था।