जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अलगाववादी नेता यासिन मलिक व जमात-ए-इस्लामी को एक दर्जन से ज्यादा नेताओं को शुक्रवार रात हिरासत में ले लिया था। वहीं केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां कश्मीर घाटी भेजी हैं।
शनिवार को जमात-ए-इस्लामी के नेताओं पर कार्रवाई की जाने से जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि,”आप इंसानों को कैद कर सकते हैं लेकिन उनके विचारों को नहीं।”
महबूबा ने सरकार के इस कदम को ‘मनमाना कदम’ कहा है। उन्होंने कहा कि “24 घंटे के भीतर हुर्रियत नेताओं और जमात के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। प्रशासन ऐसा करके क्या दिखाना चाह रही है मैं यह समझने में असमर्थ हूं।”
सविंधान के अनुच्छेद 35(ए) को लेकर चल रही सुनवाई पर सोमवार को कोर्ट में चर्चा होने के बाद फैसला आ सकता है।
हुर्रियत नेता उमर फारुक ने इस हरकत को ‘अवैध’ कहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से कश्मीर की जमीनी हकीकत नहीं बदल जाएगी, केवल लोगों के मन में आतंक और गुस्सा बढ़ेगा।
पीपल्स कॉंफ्रेस के सजाद लोन ने कहा कि,”हुर्रियत नेताओं के हिरासत में लेने से घाटी की स्थिति बद से बदत्तर हो जाएगी। लोन ने ट्वीट में लिखा कि,”1990 के बाद यह पहले कार्रवाई है जिसमें इतने नेताओं की गिरफ्तारी हुई है। यह एक ट्राइड व फेल तरीका है। “