Mon. Dec 23rd, 2024
    ग्वाटेमाला अमेरिका यरूशलम

    ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिम्मी मोरालेस ने रविवार को घोषणा की थी कि वह अपने दूतावास को तेलअवीव से यरूशलम में स्थानांतरित करेगा। इस पर दुनिया के कई देशों का कहना था कि ग्वाटेमाला ने ये फैसला अमेरिका के दबाव में लिया है। इस पर ग्वाटेमाला की विदेश मंत्री सेंड्रा जोवल ने संवाददाता सम्मलेन में यरूशलम में दूतावास स्थानांतरित करने के फैसले पर अमेरिका के किसी भी दबाव से साफ इंकार किया है।

    जोवल ने कहा कि अमेरिका ने ग्वाटेमाला के ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया है। हमने स्वतंत्र रूप से ग्वाटेमाला के दूतावास को इजरायल से यरूशलम में भेजने की घोषणा की थी। यह फैसला ग्वाटेमाला सरकार की विदेश नीति के अंतर्गत लिया गया था।

    गौरतलब है कि ग्वाटेमाला उन नौ देशों में से एक था जिसने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिका के पक्ष में मतदान किया था। ताकि अमेरिका का साथ व आर्थिक सहयोग उसे मिलता रहे।

    ग्वाटेमाला की विदेश मंत्री जोवल ने कहा कि हम इजरायल के सच्चे दोस्त और ऐतिहासिक सहयोगी है। हमने अपने दूतावास के फैसले के बारे में किसी से कोई राय नहीं ली है।

    अमेरिका व इजरायल का दोस्त है ग्वाटेमाला

    साथ ही कहा कि हम अपने दूतावास को यरूशलम में मूव नहीं कर रहे है बल्कि उस जगह वापसी कर रहे है। क्योंकि साल 1978 में तेल अवीव में दूतावास को स्थानांतरित करने से पहले वो यरूशलम में ही था।

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बाद जिम्मी मोरालेस ने रविवार को तेल अवीव से यरूशलम में दूतावास को स्थानांतरित करने का ऐलान किया था।

    तब से माना जा रहा था कि ग्वाटेमाला के ऊपर राष्ट्रपति ट्रम्प ने ये घोषणा करने का दबाव बनाया है। हालांकि ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति ने साफ तौर पर कहा था कि वो ये फैसला इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से वार्ता करने के बाद ले रहा है।

    साथ ही उस पर किसी तरह को कोई दबाव नहीं बनाया गया था। गौरतलब है कि ग्वाटेमाला देश को अमेरिका की तरफ से सहायता व व्यापारिक निर्भरता मिलती है।