अमेरिका की सीनेट में बुधवार को यमन में जारी सऊदी अरब की जंग से वांशिगटन की भूमिका को खत्म करने वाला प्रस्ताव पारित हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मिडिल ईस्ट नीति के लिए यह बेहद घातक साबित हो सकता है।
गार्डियन के मुताबिक इस प्रस्ताव के समर्थन में 54 में से 46 मत पड़े हैं। डोनाल्ड ट्रम्प की पार्टी के सात सांसदों ने डेमोक्रेट्स के पक्ष में मतदान किया है।
अब यह प्रस्ताव हाउस ऑफ़ रेप्रेसेंटीव में जायेगा जहां इसके पारित होने की पूर्ण सम्भावना है और इसके बाद यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समक्ष हस्ताक्षर के लिए भेजा जायेगा।
इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसद ने बताया कि “अमेरिका को कांग्रेस की अनुमति के बगैर यमन संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहिए था। आलोचकों ने कहा कि “अमेरिका के खुद के पैर जमीन पर नहीं है और वह होने सहयोगी मित्र को तकनीकी सहायता का प्रस्ताव दे रहा है।”
समर्थकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डोनाल्ड ट्रम्प का निरंतर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को समर्थन भी उन्हें रास नहीं आ रहा है और यह इसकी जवाबी प्रतिक्रिया भी थी। सऊदी अरब के प्रिंस अमेरिका के बीते वर्ष अक्टूबर में तुर्की में हुई पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या में भी संदिग्ध हैं।
हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस ने डोनाल्ड ट्रम्प को झटका देते हुए यमन में सऊदी की मदद खत्म करने वाले प्रस्ताव को पारित कर दिया था। कांग्रेस के सांसदों ने युद्ध मे अमेरिका को न झोंकने के समर्थन में अपना मत दिया था।
दा गार्डियन के मुतबिक अमेरिका के सदन में बुधवार को 248 मतों से इस विधेयक को पारित कर दिया गया था। सीनेट में बीते वर्ष ऐसा ही विधेयक प्रस्तावित किया गया था, उस दौरान कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में थी लेकिन वे इस प्रस्ताव पर मतदान नही कर पाए और नतीजतन यह विधेयक खारिज हो गया था।
यमन की वर्तमान स्थिति
यमन में ग्रह युद्ध साल 2015 में शुरू हुआ था। यह यमन की उस समय की सरकार अब्द्राबुह मंसूर हदी के समर्थकों और हऊदी विद्रोहिओं के बीच आरम्भ हुआ था।
दोनों पक्ष यमन की सरकार बनाने का दावा करते हैं। हऊदी विद्रोही दरअसल पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सलेह को फिर से सत्ता में काबिज करना चाहते हैं।
विदेशी ताकतों की बात करें तो सऊदी अरब यमन की तत्कालीन अब्द्राबुह मंसूर हदी की सरकार के समर्थन में है और जब भी विद्रोहिओं का पलड़ा भारी होता है, तब सऊदी बमबारी का इस्तेमाल कर सरकार की मदद करता हैं।
वहीँ दूसरी ओर ईरान विद्रोहिओं के समर्थन में लड़ रहा है। अमेरिका बाहर से सऊदी अरब का समर्थन कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र नें साल 2016 में कहा था कि सिर्फ एक साल में यमन में 30 लाख से ज्यादा लोग घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।