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    यमन का महत्वपूर्ण बंदरगाह

    संयुक्त राष्ट्र ने रविवार को यमन के विद्रोही महत्वपूर्ण लाल सागर बंदरगाहों से बाहर निकलने का कार्य योजना के मुताबिक जारी है। यमन की सरकार ने चरमपंथियों पर फर्जी तरीके से हटने का आरोप लगाया था। यूएन के बयान के मुताबिक शनिवार को होडीदा, सालीफ़ और रास इस्सा के बंदरगाहों से हूती विद्रोही चरमपंथियों की वापसी योजना के अनुसार ही ही हुई है।”

    बंदरगाहों से हटे विद्रोही

    बयान के तहत, सभी तीनो बंदरगाहों पर संयुक्त राष्ट्र ने निगरानी रखी हुई है। इन बंदरगाहों से सैन्य बल हट चुके हैं और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तटीय सुरक्षाकर्मियों को सौंप दी गयी है। सैन्य उपकरणों को आगामी दिनों में हटा दिया जायेगा।

    गरीब अरबी पेनिनसुला देश के लाखो नागरिकों के लिए होडीदा बंदरगाह जीवन जीने का एकमात्र जरिया है। चार वर्षो से अधिक विध्वंशक जंग में लाखो लोग भुखमरी का शिकार हुए हैं। सेना को हटाने की शुरुआत संघर्षविराम समझौते की तरफ पहला कदम था।

    यह समझौता यमन की सऊदी समर्थित सरकार और ईरानी समर्थित हूथी विद्रोहियों के बीच गाठ दिसंबर में स्वीडन में हुआ था। यमन के सूचना मंत्री ने विद्रोहियों के ऐलान का खंडन किया और उन पर छल की नीति अपनाने का आरोप लगाया था।

    विद्रोहियों का नाटक

    मोअम्मर अल ईरयानी ने ट्वीट कर कहा कि “हूथी विद्रोही नाटकीय खेल को बारम्बार खेल रहे हैं और बंदरगाह का नियंत्रण दूसरी वर्दी पहने अपनी ही सेना के सुपुर्द कर रहे हैं।” यमन में जारी संघर्ष से 2.2 करोड़ जनता को मानवीय सहायता और संरक्षण की अत्यधिक जरुरत है। इनमे से 80 लाख लोग खाद्य असुरक्षा और भुखमरी के जोखिम को झेल रहे हैं।

    हज़ारो नागरिकों विशेषकर बच्चों ने हवाई हमले और भुखमरी से लड़ने में अपनी जान गंवाई है। यमन की राजधानी सना अभी ईरानी समर्थित हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण में हैं। विद्रोहियों ने दिसंबर 2017 में राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह की हत्या कर दी थी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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