यमन के हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर बंदरगाहों की सुरक्षा की जिम्मेदारी तटीय सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दी है लेकिन सैन्य उपकरणों को हटाने के लिए काफी कार्य अभी शेष है। बीते वर्ष दिसंबर में यमन की सऊदी समर्थित सरकार और ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों के बीच स्वीडन में संघर्षविराम समझौता हुआ था और सैनिको की वापसी इसका ही भाग है।
सरकार ने आरोप लगाया कि विद्रोही बंदरगाहों को दूसरी वर्दी में अपनी सेना के सुपुर्द ही कर रहे हैं। यूएन ने रविवार को कहा कि वह होडीदा, सालीफ़ और रास इस्सा से हूथी विद्रोहियों की वापसी पर निगरानी रख रहे हैं। सैनिको को हटाने के निरिक्षण के लिए मंगलवार को यूएन की टीम वहां मौजूद थी।
उनके प्रमुख जनरल मिचेल लोलेस्गार्ड ने बंदरगाहों की सुरक्षा की जिम्मेदारी तटीय सुराक्षकर्मियों को सौंपने के कार्य का स्वागत किया है। यूएन के बयान के मुताबिक, यह से सभी को हटाने के लिए अभी कार्य कार्य शेष है,लेकिन सहयोग काफी बेहतरीन है।”
शहर का यह बंदरगाह गरीब द्वीपीय देश के लाखो नागरिकों के जीवन यापन करने का एकमात्र सहारा है। चार वर्षों के विध्वंशक युद्ध में देश को भुखमरी की तरफ धकेल दिया है। बीते वर्ष का यह समझौते एक महत्वपूर्ण कड़ी थी जो यमन में जंग के अंत का सर्वश्रेष्ठ मौका मुहैया कर रहा था।
यमन की सरकार की तरफ से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का गठबंधन संघर्ष कर रहा था। बहरहाल, होडीदा में हिंसा का अंत हो चुका है। हालाँकि यहां सिलसिलेवार तरीके से झड़पे होती रही है और फ्रंट लाइन से दूर रहने के वाडे जो सभी पक्ष निभाने में असफल साबित हुए हैं।