यमन में चार वर्षों से जारी गृह युद्ध का अंत करने की समभावनाएँ जाएगी है। हूथी विद्रोहियों ने तीन महत्वपूर्ण बंदरगाहों से अपनी सेनाओं की एकतरफा वापसी पर सहमति जाहिर की है। यह बंदरगाह होडीदाह, सालिफ़ और रास लस्सा है। हुदायदाह समझौते को समर्थन करने के लिए संयुके राष्ट्र मिशन ने बीते वर्ष दिसंबर में यमन की सरकार और हूथी विद्रोहियों के बीच समझौते के लिए स्वीडन में मध्यस्थता की थी।”
यूएन सेना की दोबारा तैनाती पर निगरानी रखेगी जो शुक्रवार से होगा। यूएन ने बयान में कहा कि “हुदेदाह समझौते के बाद जमीन पर यह पहला व्यवहारिक कदम है। सभी पक्षों को अपनी जिम्मेमदारी निभाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध, पारदर्शी और सतत कार्रवाई करनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “लाखो यमनी जनता के लिए मानवीय सहयता की जरुरत की मांग की है जो गृह युद्ध के दौरान विस्थापित हो गए थे। यमन के पक्षों को अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए तत्काल इसकी तरफ कार्य जारी रखने की जरुरत है। यूएन सभी पक्षों का इससे समबन्धित समर्थन करना जारी रखेगा ताकि वह यमन की जनता की तरफ अपने दायित्वों का निर्वाह कर सके और अपनी सरजमीं पर शान्ति और स्थिरता को कायम कर सके।”
बीते वर्ष 13 दिसंबर को हूथी और यमन सरकार ने स्टॉकहोल्म में बातचीत के दौरान संघर्षविराम समझौते को मुकम्मल कर लिया था। अलबत्ता अभी दोनों पक्षों ने रणनीतिक यमनी पोर्ट सिटी से अपनी सेनाओं को नहीं हटाया है और सरासर संघर्षविराम संधि का उल्लंघन है।
यमन में जारी संघर्ष से 2.2 करोड़ जनता को मानवीय सहायता और संरक्षण की अत्यधिक जरुरत है। इनमे से 80 लाख लोग खाद्य असुरक्षा और भुखमरी के जोखिम को झेल रहे हैं। हूथी विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी अरब ने साल 2015 में यमन में प्रवेश किया था और इसके बाद देश के स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता केंद्र तबाह हो गए और कॉलरा और अन्य खतरनाक बीमारियां फैलने लगी।
हज़ारो नागरिकों विशेषकर बच्चों ने हवाई हमले और भुखमरी से लड़ने में अपनी जान गंवाई है। यमन की राजधानी सना अभी ईरानी समर्थित हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण में हैं। विद्रोहियों ने दिसंबर 2017 में राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह की हत्या कर दी थी।