पत्रकार जमाल खसोज्जी की हत्या के कारण सऊदी अरब और अमेरिका की पुरानी दोस्ती में रार आ गयी है। अमेरिका ने यमन में सऊदी के युद्ध विमानों में ईंधन भरने के समझौते को समाप्त कर दिया है।
रियाद और वांशिगटन का फैसला उस समय आया जब यमन में किये हवाई हमलों में मरे नागरिकों की जांच के घेरे में सऊदी अरब भी है। पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के कारण सऊदी अरब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आलोचनायें झेल रहा है।
अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में संयुक्त राष्ट्र के परयासों को सफल करने के लिए कथित सीमा उल्लंघन किया था। यमन में पिछले चार सालों से जंग छिड़ी हुई है और इस जंग में 10000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। यूएन ने इसे दुनिया का भयानक मानवीय संकट बताया था।
सऊदी अरब की ख़बरों क मुताबिक रियाद के पास रेफुएलिंग के लिए 23 विमान है, जिसमे छह एयरबस यमन में इस्तेमाल होते हैं। जबकि संयुक्त अरब अमीरात के छह एयरबस विमान है। रियाद के पास नौ केसी-130 हर्कुलस विमान भी हैं।
अमेरिका के रक्षा सचिव जेम्स मेत्तिस ने कहा कि अमेरिकी सरकार से इस बाबत चर्चा हो चुकी है और सरकार इसका समर्थन करती है। अमेरिकी विभाग ने कहा कि ईंधन भरने की प्रक्रिया को रोकने से ईरान और सऊदी अरब के मध्य तनातनी बढ़ सकती है।
सऊदी अरब सुन्नी मुस्लिम गठबंधन का नेतृत्व करता है जबकि यूएई ईरानी समर्थित हौथी विद्रोहियों के खिलाफ अभियान चला रहा है।
हौथी विद्रोहियों की समिति के प्रमुख मुहम्मद अली अल हौथी ने कहा कि अमेरिकी-सऊदी गठबंधन का सीजफायर कोई हमला नहीं बल्कि खाली बातचीत थी। अमेरिका ने चेताया है कि यमन में 80 फीसदी आयात होने वाले खाद्य पदार्थों के रेड सी पोर्ट पर हमला कर दिया जायेगा।
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा कि यमन में दोगुनी खाद्य सहायता भेजने पर विचार किया जा रहा है। इसका मकसद भूक से पीड़ित 14 मिलियन तक पंहुचा जा सके. अमेरिका इस बयान से हौथी विद्रोहियों के साथ शांति वार्ता करना चाहता हैं। पिछली बार जिनेवा में आयोजित शांति वार्ता रद्द हो गयी थी। उन्होंने कहा कि उनका प्रतिनिधि समूह की यात्रा पर प्रतिबन्ध लगा रखा है। यमन की सरकार ने कहा कि विद्रोही समूह वार्ता के लिए आना ही नहीं चाहता था।