आइफा अवार्ड्स, 2017 में हुए ‘परिवारवाद’ पर की गयी टिप्पणी पर सैफ अली खान, करन जोहर और वरुण धवन ने कंगना से माफ़ी मांग कर किस्सा ख़तम तो कर लिया है । पर, अब बात आती है सैफ अली खान के बेटे तैमूर खान की। यदि उससे बड़ा होकर बॉलीवुड का हीरो बनाना हो, तो वो भी नेपोटिस्म कहा जायेगा या नहीं ?
इस बात के जवाब में सैफ ने कहा कि वह ‘नेपोटिस्म’ जैसे शब्द पर भरोसा नहीं करते। सही माईनो में ‘नेपोटिस्म’ होता क्या है? क्या अपने घरवालों का सहयोग लेने को ‘नेपोटिस्म’ कहा जायेगा? क्या ‘सितारों’ के बच्चों को सहयोग करना ‘नेपोटिस्म’ है ?
सैफ ने यह भी कहा कि ‘और ऐसा जरूर नहीं है कि यदि आप के माता पिता ‘स्टार’ है, तो आपको भी नेपोटिस्म का फायदा मिलेगा। पर, यहाँ फिर एक सवाल खड़ा होता है क्या है नेपोटिस्म है क्या जेनेटिक? मेरे बेटे तैमूर की बात कर लीजिये, वो इतना छोटा है और अभी से हर दिन सुर्खियों में आ जाता है, वो कुछ भी करता है, मीडिया वाले उस को खबर बना देते है । ऐसे में मैं भला उसको ऐसा कैसे बोल सकता हूँ कि वो एक आम बच्चा है। वो अभी से एक स्टार की ज़िन्दगी जी रहा है।’
सबके पास, हर जगह उसकी तस्वीरें पहुंच जाती है, जब वह 18 वर्ष का होगा, कोई प्रोडूसर उसे कास्ट करना चाहेगा क्या इससे भी नेपोटिस्म बोला जायेगा? पर, देखा जाये तो ये सही भी होगा क्योकि तैमूर लोगों के बीच एक जाना पहचाना चेहरा होगा, और यह नेपोटिस्म नहीं होगा बल्कि मौके का फायदा उठाना कहा जायेगा।
सैफ ने यह बात भी स्वीकार कि उनको बॉलीवुड इंडस्ट्री में ब्रेक आसानी से तो मिल गया था पर उनकी पहली सारी पिक्चर ने मुँह की खायी थी। उन्होंने यह भी कहा कि लोग उन्हें भी यूँ तो फ़िल्मी पृष्ठभूमि से कहेंगे, पर उनकी कहानी भी इतनी आसान नहीं थी। सन 90 में यश चोपड़ा ने उन्हें लेने की वजह शाहरुख़ खान को अपनी फिल्म में अभिनेता के तोर पर लिया। पर, स्टार सन तो सैफ अली खान है न, न की शाहरुख़ खान।
साथ ही, सैफ अली खान ने कंगना की बात पर भी अपनी सहमति दी । कंगना उन लोगों की बात कर रही है जो नकारात्मक तरीके से इंडस्ट्री को नियंत्रण करना चाहते है।