आपके पास यदि धन है तो आप क्या करेंगे? जाहिर है आप उसे ऐसी जगह निवेश करना चाहेंगे जहाँ आपको अच्छा रिटर्न मिल सके।
इसके लिए अगर अभी तक आपकी प्राथमिकता बचत खाता या फिर फिक्स डिपॉज़िट में निवेश करने की रही है, तो हम आपको बता रहे हैं निवेश के वो तरीके जिनसे आपको बचत खाते या फिक्स डिपॉज़िट जैसे पारंपरिक तरीकों में पैसा जमा करने की तुलना में ज्यादा रिटर्न मिलेगा।
म्यूचुअल फंड और एसआईपी निवेश के दो ऐसे ही तरीके हैं जिनके जरिये आप अपने निवेश से अधिक रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।
आखिर क्या होता म्यूचुअल फंड?
आज कल आपको आपकी टीवी पर अक्सर इसका विज्ञापन देखने को मिल जाएगा, जिसमें कहा जाता है कि “म्यूचुअल फंड… सही है …” तथा इसी के साथ एक लाइन और जोड़ दी जाती है कि “यह योजना जोखिमों के अधीन है।”
तो पहले यह समझ लीजिये कि म्यूचुअल फ़ंड होता क्या है? म्यूचुअल फंड असल में निवेश का एक तरीका है, जिसके जरिये निवेशक अपने पैसे को स्टॉक, बॉन्ड या इन दोनों में एक साथ निवेश करता है।
म्यूचुअल फ़ंड द्वारा स्टॉक या बॉन्ड में किए गए कुल निवेश को बाद में यूनिट में बाँटा जाता है। निवेशक को उसके निवेश के अनुसार ही हिस्से की यूनिट दी जाती हैं।
म्यूचुअल फंड के मूल्य को नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) के जरिये आँका जाता है। यही वो मूल्य होता है, जिसके आधार पर निवेशक किसी म्यूचुअल फंड को खरीद या बेंच सकता है।
कैसे करें म्यूचुअल फंड में निवेश?
आप किसी फ़ंड मैनेजर के जरिये म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं। अगर आप इक्विटि म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो फंड मैनेजर आपके पैसे को उन कंपनियों के स्टॉक में निवेश करेगा, जिनकी साख बाज़ार में अच्छी है।
इक्विटि म्यूचुअल फंड उन कंपनियों के शेयरों को तब खरीदता है जब उनके दाम काम होते हैं, फिर जैसे ही उन कंपनियों के शेयरों के दाम बढ़ जाते हैं, उन शेयरों को बेंच दिया जाता है।
वहीं दूसरी ओर डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड के जरिये आपका पैसा फिक्स इनकम सिक्युरिटी में जमा होता है। म्यूच्यूअल फंड में निवेश के इस तरीके में इक्विटी म्यूच्यूअल फंड की तुलना में कम रिटर्न हैं, लेकिन इसमें इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड की तुलना में आपको जोखिम भी काम मिलता है ।
आप जानते हैं कि आपका पैसा बाज़ार में निवेश हो रहा है। इस लिए आपको बाज़ार के उतार चड़ाव के अनुसार ही रिटर्न मिलेगा। इस लिए आपको जोख़िम भी उठाना पड़ सकता है।
क्या है एसआईपी में निवेश?
एसआईपी का पूरा नाम सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान है। इसके जरिये आपका पैसा म्यूचुअल फंड में लगाया जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि इसके द्वारा निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड को महज एक तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिये आप अपने पैसे को निश्चित अंतराल पर टुकड़ों के रूप में म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं। यह अंतराल हफ़्ते में एक बार, महीने में एक बार या फिर प्रत्येक तिमाही में एक बार भी हो सकता है।
कैसे करें एसआईपी में निवेश?
इसके जरिये निवेश करने पर पैसा आपके अकाउंट से स्वतः डेबिट हो जाएगा। फिर आपने जो भी म्यूचुअल फ़ंड की स्कीम चुनी है, ये पैसा उस में निवेश कर दिया जाएगा।
आपको इसके लिए उस समय चल रहे बाज़ार भाव को देखते हुए कुछ यूनिट दे दी जाएंगी जिसे नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) कहते हैं। इसी की मदद लेकर आप इक्विटि म्यूचुअल फ़ंड या डेब्ट म्यूच्यूअल फंड में अपनी इच्छाअनुसार निवेश कर सकते हैं।
मान लीजिये अभी स्टॉक मार्केट ऊपर है, तब आपके इक्विटि म्यूचुअल फ़ंड का एनएवी भी ऊपर होगा, तब आपको इक्विटि म्यूचुअल फंड की कम यूनिट मिलेंगी। जैसे ही स्टॉक मार्केट नीचे जाएगा तो इसी के साथ आपके इक्विटि म्यूचुअल फंड के एनएवी की कीमत भी नीचे चली जाएगी। तब आपको इक्विटि म्यूचुअल फ़ंड की ज्यादा यूनिट मिलेंगी। इसी तरह आप डेब्ट म्यूचुअल फ़ंड में भी निवेश कर सकते हैं।
क्या अंतर है म्यूचुअल फ़ंड और एसआईपी में?
- आप निवेश के तहत पैसा म्यूचुअल फ़ंड में लगाते हैं, जो कि एक निवेश है, जबकि एसआईपी एक तरीका है जिसके द्वारा आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं।
- एसआईपी के जरिये आप म्यूचुअल फंड के साथ साथ स्टॉक में भी सीधे निवेश कर सकते हैं।
- एसआईपी आपके लिए बिलकुल लोन जैसा है जिसकी ईएमआई आपको एक निश्चित अंतराल पर लगातार देती रहनी होती है। लेकिन लोन के उलट इसमें आपको पैसा बाद में मिलता है।
यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।