म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों की मौत के बारे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल वैश्विक मानवीय एनजीओ मेडिसिन्स सेन्स फ्रंटियरर्स (एमएसएफ) ने गुरूवार को घोषणा करते हुए कहा कि अगस्त माह में म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद कम से कम 6700 रोहिंग्या मारे गए थे जिसमें करीब 730 बच्चे शामिल थे।
बांग्लादेश में शरणार्थियों के सर्वेक्षण के आधार पर यह संख्या म्यांमार की आधिकारिक संख्या 400 से काफी अधिक है। म्यांमार ने रोहिंग्या मुसलमानों की मौत का आंकडा 400 बताया था जबकि एमएसएफ के सर्वे में रोहिंग्या मुसलमानों की मौत का आंकडा 6700 से अधिक है। इससे साबित होता है कि दुनिया के सामने म्यांमार मे रोहिंग्या की मौत का आंकड़ा कम दिया था। जबकि हकीकत में काफी ज्यादा है।
एमएसएफ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद कम से कम 6700 रोहिंग्या मुसलमानों की मौत हुई थी जिसमें पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 730 बच्चे शामिल है। एमएसएफ को डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स के नाम से भी जाना जाता है।
इस रिपोर्ट से साबित होता है कि म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों के साथ व्यापक स्तर पर हिंसा की है। एमएसएफ के मेडिकल डायरेक्टर के मुताबिक हमें म्यांमार में हुई हिंसा के बारे में जो पता चला है वो काफी चौंका देने वाला था, भयावह तरीके से लोग मारे गए व बड़ी संख्या में गंभीर रूप से घायल भी हुए। रोहिंग्या के साथ यौन उत्पीड़न व अत्याचार भी किए गए।
647000 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को छोड़ना पड़ा था देश
एमएसएफ की रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल से कम उम्र के बच्चों को 59 प्रतिशत से ज्यादा कथित तौर पर गोली मारी गई, 15 प्रतिशत बच्चों को जलाया गया, 7 प्रतिशत की मौत हो गई और 2 प्रतिशत विस्फोट में मारे गए।
रोहिंग्या के अराकन साल्वेशन आर्मी के आतंकवादियों ने म्यांमार के पुलिस अफसरों पर हमला किया था। जिसके बाद म्यांमार ने सैन्य कार्रवाई की जिसमें 647000 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़कर बांगलादेश जाना पड़ा।
हिंसा की आंतरिक जांच के बाद नवंबर में म्यांमार सेना ने खुद निर्दोष साबित किया था। सेना का कहना है कि पहले रोहिंग्या समुदाय ने उन पर हमला किया था।
जानकारी के मुताबिक अगर ज्यादा लोगों का सर्वे किया जाए तो मौत के आंकडे अधिक भयावह हो सकते है। एमएसएफ ने ये सर्वे बांंग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के करीब 2500 घरों में किया है। सर्वे में सामने आया है कि रोहिंग्या मुसलमान हिंसा की वजह से बांग्लादेश में गंदे स्थानों पर रहने को मजबूर हो रहे है।