जिनेवा में प्रवक्ता रवीना शामदासनी पत्रकारों से कहा कि “म्यांमार की सेना ने दोबारा अपने नागरिकों पर हमला किया है, इसे जंगी अपराधों को निर्मित कर सकते हैं। म्यंमार की सेना और अराकन आर्मी के बीच इस संघर्ष को तत्मादौ कहते हैं। जो बीते दशकों से जारी है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 अप्रैल की शाम को सेना के दो हेलीकॉप्टर हपोन नयो लीक गाँव के ऊपर से गुजरे थे वहां रोहिंग्या मुस्लिम अपनी गायो और उपजाऊ खेतो की देखरेख कर रहे थे, उन पर गोलीबारी की थी। इसमें कम से कम सात नागरिको की मौत हुई थी और 18 लोग घायल हुए थे।
यूएन प्रवक्ता ने कहा कि “इन हत्याओं को हम निश्चितता के साथ सत्यापित कर चुके हैं। ओएचसीएचआर को इस हमले के समर्थन में कई वीडियो और तस्वीरें मिली थी। इसलिए हम इन सबूतों को यहां रख रहे हैं कि वहां विमान से गोलीबारी की गयी थी, बम गिराए गए थे और सात लोग इसमें मारे गए थे।”
#Myanmar: We are deeply disturbed by the intensification of conflict in #Rakhine. The consequences of impunity will continue to be deadly. We call on the Tatmadaw & Arakan Army to immediately cease hostilities & to ensure that civilians are protected.
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— UN Human Rights (@UNHumanRights) April 5, 2019
अराकन आर्मी का गठन दशकों पूर्व आर्थिक और सामाजिक अन्याय के खिलाफ हुआ था। बौद्ध बहुल देश में रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया जाता है। इस कारण अगस्त 2017 में लाखो की तादाद में रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश की तरफ भाग गए थे।
उन्होंने कहा कि “4 जनवरी को अराकन आर्मी ने कई पुलिस चौकियों पर हमला किया था क्योंकि रिपोर्ट्स के मुताबिक वहां नागरिकों की हत्या की गयी, घरो को जलाया गया और गिरफ्तारी की गयी थी। प्रवक्ता ने कहा कि “अराकन आर्मी ने कई पुलिस चौकियों पर हमला किया था, इसकी प्रतिक्रिया में म्यांमार की सेना ने बेहद सख्ती से प्रतिक्रिया दी और अराकन आर्मी को कुचल देने का आदेश दिया था। दोनों पक्षों के बीच बेहद कमजोर चर्चा की गयी थी।”
उन्होंने कहा कि “हमने तत्काल म्यांमार की सेना और अराकन आर्मी को इस दुश्मनी को खत्म करने का आदेश दिया था और नागरिकों की संरक्षण को सुनिश्चित करने को कहा था। संघर्ष वाले इलाको के साथ ही उत्तरी रखाइन के सभी क्षेत्रों में मानवीय पंहुच को तुरंत बहाल किया जाये।”
शामदासनी ने कहा कि “यह बौद्ध और रखाइन के बीच शत्रुता का मसला नहीं है। इसने चिन और रखाइन के राज्यों के संजातीय समुदाय इससे प्रभावित हुए हैं। बीते वर्षो में नागरिको के खिलाफ हुए अपराधों के जिम्मेदारों के खिलाफ अंतरार्ष्ट्रीय समुदाय कदम उठा रहा है। जो युद्ध में परिवर्तित होते जा रहे हैं।” जारी हिंसा के कारण करीब 20000 नागरिक विस्थापित हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे दफ्तर को मिली जानकारी के मुताबिक 25 से 30 मार्च के बीच 4000 रोहिंग्या मुस्लिम विस्थापित हुए हैं। चिंताएं बढ़ रही है क्योंकि अराकन आर्मी खुद को मज़बूत बना रही है और अब संघर्ष पहाड़ी क्षेत्रों से अधिक जनसँख्या वाले क्षेत्रों में हो रहा है।”