Sun. Sep 8th, 2024
    अमेरिकी प्रतिनिधि सभा रोहिंग्या म्यांमार

    अमेरिकी सदन ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार सरकार द्वारा की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे जातीय सफाई करार दिया है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने रोहिंग्या मुसलमानों पर किए गए अत्याचारों की कड़ी निंदा की है।

    म्यांमार सरकार के इस रवैये की अमेरिकी प्रतिनिधियों ने कठोर आलोचना करते हुए म्यांमार के रखाइन प्रांत में अभी भी जारी अल्पसंख्यकों पर हमलों को रोकने की मांग की है।

    अमेरिकी प्रतिनिधि सदन ने मंगलवार को प्रस्ताव पारित किया है जिसमें रखाइन प्रांत में तुरंत मानवतावादी सहायता पहुंचाने की अपील की गई है। प्रस्ताव के मुताबिक रखाइन प्रांत में रोहिंग्या की मदद के लिए मानवाधिकार संगठनों व अन्य सहायता को पहुंचाये जाने में म्यांमार सरकार को सहयोग करना चाहिए।

    अमेरिकी प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव के माध्यम से कहा है कि म्यांमार से भागने को मजबूर हुए करीब 6 लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों की अपने देश में तत्काल बहाली का आदेश म्यांमार सरकार द्वारा दिया जाए।

    म्यांमार के नेताओं को दिया कड़ा संदेश

    अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के एक सदस्य ने बयान में कहा है कि हमारे द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव से म्यांमार के नेताओं को कड़ा संदेश जाएगा कि वो इस प्रकार के अत्याचारों का पूरी तरह से बंद करे। साथ ही म्यांमार की सीमाओं के भीतर रहने वाले सभी लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करे।

    इसके अलावा अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने इस प्रस्ताव के जरिए म्यांमार के सुरक्षा बलों के इस कृत्य को भयावह करार दिया है। साथ ही हिंसा की तत्काल समाप्ति की मांग की है। अमेरिकी प्रतिनिधि सदस्य एलियट एंगल ने कहा है कि हम सेना के दावों को पूरी तरह से नकारते है।

    म्यांमार में जो कुछ भी हो रहा है वह एक तथाकथित आतंकवाद विरोधी कदम है। सेना की सब बातों को बकवास बताते हुए रोहिंग्या पर किए गए अत्याचारों को जातीय सफाई करार दिया है।

    बांग्लादेश का जताया आभार

    प्रस्ताव में कहा गया है कि अन्य देशों को भी रोहिंग्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आगे आना चाहिए। वहीं अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने बांग्लादेश का आभार जताया है। साथ ही कहा है कि बांग्लादेश ने रोहिंग्या को शरण देकर काफी अच्छा काम किया है।

    प्रस्ताव में कहा गया है कि बांग्लादेश व म्यांमार के बीच हुआ रोहिंग्या समझौते पर जल्द शुरू करना चाहिए। इस तरह कई अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने म्यांमार की कड़ी आलोचना की है।

    संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद प्रमुख ने की निंदा

    संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख जेद राद अल हुसैन ने रोहिंग्या मुसलमानों पर किए जा रहे अत्याचारों को लेकर नई अंतरराष्ट्रीय जांच का अनुरोध किया है। अल हुसैन ने म्यांमार सरकार के उन नीतियों की आलोचना की है जिसमें रोहिंग्या के ऊपर दमनात्मक कार्यवाही की गई।

    एक सेशन के दौरान रोहिंग्या लोगों के साथ किए जा रहे भेदभाव का उल्लेख अल हुसैन ने किया। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के राजदूत हतिन लीन ने इन आरोपों का जवाब नहीं दिया। लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी सरकार रोहिंग्या मुद्दे पर हरसंभव प्रयास कर रही है।