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    म्यांमार की सेना

    म्यांमार की सेना ने रखाइन में युद्ध अपराध, हत्याओं और उत्पीड़न के लिए सेना को कसूरवार ठहराया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को यह आंकड़ा साझा किया था। सैन्य बल ने हज़ारो सैनिको की तैनाती की है और भारी हथियारों को उत्तरी रखाइन राज्य में रखा है जहां महीनो से अराकन आर्मी विद्रोहियों का सेना से संघर्ष जारी है।

    सेना ने साल 2017 में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ खूनी कार्रवाई की थी। इस अभियान में करीब 740000 रोहिंग्या बांग्लादेश की तरफ भाग गए थे। यूएन के जांचकर्ताओं ने इस नरसंहार के लिए सेना के आला अधिकारीयों को जिम्मेदार ठहराया है।

    एमनेस्टी ने बुधवार को कहा कि “उनके समक्ष म्यांमार की सेना के युद्ध अपराध और अन्य मानव अधिकार उल्लंघन के नए सबूत मौजूद है। संघर्षग्रस्त क्षेत्र के आस-पास भारी पाबन्दी है लेकिन हालिया महीनो और हफ्तों में नागरिकों की मृत्यु का आंकड़ा बढ़ गया है। लेकिन सेना ने पुष्टि की थी कि बीते महीने क्यूक तान गाँव में उन्होंने छह नजरबन्द कैदियों की हत्या की थी।”

    एमनेस्टी की रिपोर्ट विभिन्न संजातीय समूहों द्वारा लिए गए इंटरव्यू, तस्वीरो, वीडियो और सैटेलाइट पर आधारित है।  सात गैरकानूनी हमलो में 14 नागरिकों की मौत हुई थी और दर्ज़नो से अधिक जख्मी हुए थे। संजातीय रखाइन के खिलाफ  कुख्यात सैन्य इकाई की तैनाती की है। इस क्षेत्र में शेष कुछ रोहिंग्या मुस्लिमों का भी क़त्ल कर दिया गया था।

    क्षेत्रीय निदेशक निकोलस बैक्वेलिन ने कहा कि “रखाइन राज्य में नए अभियान सेना को बेरहम, गैरजिम्मेदार और बिगड़ैल प्रदर्शित करते हैं जो नागरिकों को डराते है।” म्यांमार की सेना ने इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। दक्षिण समूह ने भी अराजकता के बावजूद सरकार के चुप रहने की आलोचना की है जबकि विभागों ने दवाइयों, भोजन और मानवीय सहयता की पहुंच को बाधित कर रखा है।

    अराकन आर्मी ने जनवरी में पुलिस चौकियों पर हमला किया था जिसके प्रतिकार में आंग सान सू की की सरकार ने सेना को विद्रोहियों को कुचल देने के आदेश दिए थे। एमनेस्टी के मुताबिक, सेना इसकी मुख्य साजिशकर्ता है, एए ने भी नागरिक के खिलाफ अत्याचार किये थे। उन पर स्थानीय प्रशासकों और करोबारी लोगो को गोलियों के साथ चिट्ठी भेजने के आरोप थे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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