भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय म्यांमार के दौरे पर हैं। आज मोदी नेम्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की से बातचीत की। खबर है कि इस दौरान रोहिंग्या मुसलमानों के भविष्य पर भी बातचीत हुई।
नरेंद्र मोदी कल चीन से सीधे म्यांमार पहुंचे। वहां म्यांमार के राष्ट्रपति ने उनके स्वागत किया। चीन में मोदी ने तीन दिन चले ब्रिक्स सम्मलेन में हिस्सा लिया था। ब्रिक्स में मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाक़ात भी हुई थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने आगे से सीमा विवाद ना होने का भरोसा जताया एवं साथ काम करने का फैसला किया।
मोदी का म्यांमार दौरा भी काफी अहम् बताया जा रहा है। म्यांमार भारत के लिए दो कारणों से अहम् बताया जा रहा है। पहला तो दक्षिण एशिया में चीन का दबदबा रोकने के लिए भारत को किसी साथी की जरूरत है। भारत और वियतनाम के रिश्ते काफी अच्छे हैं, लेकिन म्यांमार से भी मोदी अच्छे रिश्ते बनाने चाह रहे हैं। इसके अलावा चीन भी अपने वन बेल्ट वन रोड के प्रोजेक्ट के लिए म्यांमार को अहम् मनाता है, और लगातार उससे सम्बन्ध बनाने की कोशिश कर रहा है।
म्यांमार दौरा इसलिए भी अहम् माना जा रहा है क्योंकि भारत में रोहिंग्या मुस्लिम बड़ी मात्रा में आ रहे हैं। रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार से दूसरे देशों में पलायन कर रहे हैं। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। ऐसे में भारत पर उनकी मदद करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
भारत की ओर से केंद्रीय राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि भारत रोहिंग्या मुस्लिमों को नहीं रख सकता। भारत में पहले से ही लाखों शरणार्थी बसे हुए हैं, ऐसे में रोहिंग्या मुस्लिमों का आना कानून के विरुद्ध है ।
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