रोहिंग्या मुस्लिमों पर संकट के बाद पहली बार म्यांमार और बांग्लादेश की जॉइन वर्किंग कमिटी ने देश प्रत्यावर्तन मुद्दे को लेकर कॉक्स बाज़ार जिले में 1000 रोहिंग्या शरणार्थियों मुलाकात की थी। रोहिंग्या शरणार्थियों ने साल 2017 में म्यांमार में भयावह नरसंहार के डर के कारण वापस जाने से इनकार कर दिया है।
म्यांमार के रखाइन जिले में रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ हुए नरसंहार के बाद 70000 रोहिंग्या मुस्लिमों ने बांग्लादेश में पनाह ली थी। पिछले दशक में बांग्लादेश में 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी है। म्यांमार की टीम के प्रमुख के मुताबिक नवम्बर के मध्य से रोहिंग्या शरणार्थियों का देश प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
ख़बरों के मुताबिक म्यांमार पहले चरण में 2000 मुस्लिम शरणार्थियों को वापस लेगा। जॉइंट वोर्किंग कमिटी के बैठक में दोनों देशों के 30 सदस्य मौजूद थे। बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार में सबसे अधिक शरणार्थी बसे हुए हैं। ख़बरों के मुताबिक बांग्लादेश ने 8000 शरणार्थियों की सूची म्यांमार को सौंप दी थी। जांच के बाद म्यांमार ने 5000 शरणार्थियों के नाम पर मोहर लगा दी है।
म्यांमार के अधिकारी ने बताया कि म्यांमार रिसेप्शन सेंटर का निर्माण कर रहा है, रोहिंग्या मुस्लिमों दो दिन तक वहां रहना होगा। उन्होंने कहा कि नेशनल वेरिफिकेशन कार्ड मिलने के बाद उन्हें 5 से 6 महीने तक रहने के लिए मॉडल कैंप भेज दिया जायेगा।
इस समयसीमा को पूरा करने के बाद उन्हें वापस अपने पुराने घरों में जाने की अनुमति मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि अपने इलाकों में मुस्लिमों को फिशिंग, ट्रेडिंग, इलाज और उनके बच्चों की शिक्षा जैसी सारी सुविधाएं उन्हें मुहैया की जाएँगी।
रोहिंग्या रिफ्यूजी कमिटी ने नागरिकता की बजाये एनवीसी पर सवाल उठाये हैं और म्यांमार की स्टेट काउंसलर अंग सान सू की को चिट्टी भेजी है। साथ ही कमिटी ने रोहिंग्या मुस्लिमों के वापसी के डर को भगाने के लिए म्यांमार सात मांगे भी की है। उन्होंने सुरक्षा का अधिकार, नागरिकता, मुहावजा सहित कई मांगे की है।
रोहिंग्या कमिटी ने बेकसूर रोहिंग्या मुस्लिमों के नाम आतंकवादी की सूची में से हटाने और उन्हें वापस उनकी अपनी असल जमीन और घरों में रहने देने की भी मांग की है।