Sat. Nov 23rd, 2024

    म्यांमार की राजकीय मीडिया ने रविवार को बताया कि सैन्य शासक मिन आंग ह्लाइंग नवगठित कार्यवाहक सरकार में प्रधान मंत्री की भूमिका निभायेंगे। इस कार्यवाहक सरकार का गठन सेना द्वारा एक नागरिक सरकार से सत्ता जब्त करने के छह महीने बाद हुआ है।

    रविवार को एक भाषण में जनरल मिन आंग हलिंग ने 2023 तक चुनाव कराने की प्रतिज्ञा दोहराई और कहा कि उनका प्रशासन म्यांमार पर भविष्य के क्षेत्रीय दूत के साथ काम करने के लिए तैयार है।

    आंग सान सू की की सत्ताधारी पार्टी द्वारा जीते गए चुनावों को निरस्त कर सेना ने 1 फरवरी को सत्ता पर कब्जा करने के ठीक छह महीने बाद यह घोषणा की और भाषण दिया। सेना ने कहा कि वे चुनाव एक धोखाधड़ी थे। जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने राज्य प्रशासन परिषद (एसएसी) की अध्यक्षता की थी जो तख्तापलट के ठीक बाद बनाई गई थी और जो तब से म्यांमार में शासन चला रही थी। अब कार्यवाहक सरकार इसकी जगह लेगी।

    राज्य के मायवाडी टेलीविजन पर एक न्यूजरीडर ने कहा कि, “देश के कर्तव्यों को तेजी से, आसानी से और प्रभावी ढंग से निर्वाहन करने के लिए राज्य प्रशासन परिषद को म्यांमार की कार्यवाहक सरकार के रूप में फिर से गठित किया गया है।” अपने भाषण में, जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने लोकतंत्र को बहाल करने की प्रतिज्ञा दोहराते हुए कहा कि, “हम अगस्त 2023 तक आपातकाल की स्थिति के प्रावधानों को पूरी तरह से ख़तम कर करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि, “मैं लोकतंत्र और संघवाद के आधार पर एक संघ की स्थापना की गारंटी देता हूं।”

    तख्तापलट के तुरंत बाद जुंटा नेताओं ने दो साल के भीतर नए चुनाव का वादा किया था। रविवार से अगस्त 2023 तक के संदर्भ की व्याख्या कुछ स्थानीय मीडिया ने उस समय सीमा को छह महीने तक बढ़ाने के रूप में की थी। जनरल मिन आंग ने यह भी कहा कि उनका प्रशासन एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) द्वारा नामित किसी भी विशेष दूत के साथ काम करने को तैयार है।

    आसियान के विदेश मंत्रियों की सोमवार को बैठक होनी है। जब राजनयिकों का कहना है कि उनका लक्ष्य एक विशेष दूत के चुनाव को अंतिम रूप देना है जिसे हिंसा को समाप्त करने और जुंटा और उसके विरोधियों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने का काम सौंपा जाएगा। सैन्य अधिकारियों ने महीनों के विरोध और हड़तालों का सामना किया है जिसने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को ठप्प कर दिया है और सीमावर्ती क्षेत्रों में सशस्त्र संघर्षों का पुनरुत्थान किया है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *