रोहिंग्या संकट के मद्देनजर अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने म्यांमार का दौरा किया था। वहां पर म्यांमार नेता आंग सान सू की व सेना प्रमुख मिन आंग हलांग के साथ मुलाकात की। रेक्स ने रोहिंग्या की वापसी को लेकर म्यांमार पर दबाव बनाया। अब गुरूवार को म्यांमार सेना प्रमुख ने रोहिंग्या को लेकर बयान जारी किया है।
सेना प्रमुख ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों की देश में वापसी तभी की जाएगी जब म्यांमार के “असली नागरिक “ उन्हें स्वीकार कर लेंगे। यहां पर असली नागरिक से उनका तात्पर्य रखाइन प्रांत में रहने वाले बौद्ध धर्म के लोगों से है। जब तक ये लोग रोहिंग्या मुस्लिमों की वापसी के लिए राजी नहीं हो जाते है तब तक रोहिंग्या की वापसी नहीं हो सकती है।
गौरतलब है कि रखाइन प्रांत में ही बौद्ध धर्म व रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच में हिंसा भड़क गई थी जिसके बाद सेना ने भी रोहिंग्या पर अत्याचार किए थे।
जिसके चलते करीब 6 लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था। ये अभी बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर है। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार की इस कार्रवाई को जातीय सफाई करार दिया था।
म्यांमार के सेना प्रमुख मिन आंग हलांग के मुताबिक ने उनकी सेना पर लगाए गए सभी आरोपों का खंडन करते हुए हिंसा के लिए जिम्मेदार रोहिंग्या मुसलमानों को ठहराया।
रखाइन प्रांत के लोगों की स्वीकृति जरूरी
गुरूवार को सेना प्रमुख ने रोहिंग्या के वापसी करने के लिए हस्ताक्षर किए और कहा कि रोहिंग्या की वापसी को सबसे पहले रखाइन बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए अन्यथा रोहिंग्या वापसी नहीं हो पाएगी। रोहिंग्या की वापसी को लेकर म्यांमार के स्थानीय नागरिकों को संतुष्ट किया जाना आवश्यक होगा।
इसके अलावा सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि वो बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रह रहे सभी रोहिंग्या की वापसी नहीं करेगा। सेना प्रमुख ने कहा कि बांग्लादेश द्वारा शरणार्थियों की प्रस्तावित संख्या को स्वीकार करना असंभव है।
म्यांमार इनकी संख्या कम बता रहा है जबकि बांग्लादेश इनकी संख्या ज्यादा बता रहा है। हालांकि बांग्लादेश व म्यांमार रोहिंग्या की वापसी को लेकर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए है।
लेकिन अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि कितने रोहिंग्या की घर वापसी की जाएगी? और साथ ही इनके रहने व सुरक्षा की जिम्मेदारी भी स्पष्ट करनी होगी।