चीन और म्यांमार के मध्य हुए समझौते के तहत म्यांमार में चीनी गतिविधियों पर भारत नज़र बनाये हुए है। चीन म्यांमार की बंगाल की खाड़ी में स्थित क्यौक्पयु के समुंद्री तट का विस्तार कर रहा है। चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर और श्रीलंका के हबंटोटा बंदरगाह के निर्माण में भी सहायता की थी। साथ ही बांग्लादेश के चित्तोग्राम बंदरगाह के निर्माण कार्य में भी निवेश कर रहा है।
यह समुंद्री तट म्यांमार के पश्चिमी इलाके के रखाइन प्रांत में स्थित है। वहीँ भारत विशखापट्टनम के नजदीक म्यांमार के पूर्वी समुंद्री तट का निर्माण करा रहा है। क्यौक्पयु प्रोजेक्ट में पहले चरण को पूरा करने के लिए म्यांमार और चीन का 1.3 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुका है। हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी में नौचालन के लिए यह बंदरगाह रणनीतिक रूप से सार्थक साबित होगा।
म्यांमार ने कर्ज के जाल को देखते हुए इस प्रोजेक्ट में चीनी निवेश को कम किया है। यह बंदरगाह चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे के निर्माण और एक सड़क निर्माण में महत्व भूमिका निभाएगा। चीनी अखबार के मुताबिक यह प्रोजेक्ट म्यांमार में लाखों नागरिकों को रोजगार देगा और भविष्य में लाखों में कर वसूलने के लिए उपयोगी होगा।
इस प्रोजेक्ट में चीन 70 फीसदी निवेश कर रहा है जबकि म्यांमार शेष निवेश करेगा। पहले चरण के लिए इसकी लागत 1.3 बिलियन डॉलर है। चीन के मुताबिक बीआरआई परियोजना क्षेत्रीय और वैश्विक आर्थिक एकीकरण के लिए एक खुला मंच है और यह कई देशों की आर्थिक वृद्धि और रोजगार पैदा करने में मदद करेगा।
क्यौक्पु प्रोजेक्ट से स्थानीय समुदाय में लगभग 100000 रोजगार के अवसर पैदा होंगे और 15 बिलियन डॉलर कर वसूली में योगदान देगा। रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद इसका सालाना आउटपुट 3.2 बिलियन डॉलर का होगा।
हाल ही में चीन ने श्रीलंका के हबंटोटा बंदरगाह के निर्माण के बाद उससे बंदरगाह 99 सालों के लिए किराये पर ले लिया था। आलोचकों के मुताबिक चीन के बढ़ते कर्ज के कारण श्रीलंका को मजबूरन यह फैसला करना पड़ा था।