आरएसएस मुखिया मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) नें सोमवार को बयान देते हुए कहा है कि यह संभव है कि सरकार हर 5 साल में बदल जाए और ऐसे में सामाजिक संस्थाओं को किसी भी सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
महामहोपाध्याय वी वी मिराशी की 125वी वर्षगाँठ के मौके पर मोहन भागवत नें एक सभा को सोमवार को संबोधित किया था। उन्होनें आगे कहा कि सभी सामाजिक और अन्य संस्थाओं को किसी मजबूत और स्थाई चीज का सहारा लेना चाहिए।
उन्होनें आगे कहा, “जिसे सरकार से बात करनी है वह कर सकता है। लेकिन, मुझे लगता है कि सामाजिक संस्थाओं को सरकार पर आश्रित नहीं होना चाहिए। क्योंकि सरकारें बदलती रहती हैं। पहले राजवती सरकारें 30 से 50 साल में बदलती थी। अब यह सम्भावना है कि हर 5 साल में सरकार बदल जाए। ऐसे में कोई भरोसा नहीं है, जब तक है, तब तक उसका उपयोग करें।”
मोहन भागवत नें इस दौरान शिक्षा और शौध पर भी बल दिया।
भागवत नें कहा, “वर्तमान में, शिक्षा कई कारणों से ग्रहण की जा सकती है। आप खुद के लिए शिक्षा ले सकते हैं या फिर समाज का भला करने के लिए। शिक्षा सुखी जीवन का आधार है। दरअसल, शिक्षा अनंतकाल के लिए है।”
भागवत नें आगे कहा कि अंग्रेजों नें आधुनिक भारत के लिए बहुत शौध किये थे।
उन्होनें कहा, “हमारे देश के आंकड़े और भूगोल अभी भी उन्हीं के कारण चलते हैं। लेकिन हम उनके कार्य को संशोधन महर्षि नहीं कह सकते हैं क्योंकि वे लालची थे और लोगों का भला नहीं चाहते थे।”
जाहिर है अगले महीने लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने वाले हैं और ऐसे में मोहन भागवत को लगता है कि कुछ भी हो सकता है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल लगातार आरएसएस को निशाना बनाते आ रहे हैं। ऐसे में भागवत को लगता है कि यदि सरकार बदलती है, तो उन्हें उसको स्वीकार करना होगा।