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    mobile ad hoc network in hindi

    विषय-सूचि

    मोबाइल एड होक नेटवर्क (MANET) क्या है?

    MANET यानी कि मोबाइल एड होक नेटवर्क को वायरलेस एड होक नेटवर्क या एडहोक वायरलेस नेटवर्क भी कहा जाता है।

    इसके पास एक rout करने लायक नेटवर्किंग वातावरण होता है है जो कि लिंक लेयर adhoc नेटवर्क के सबसे उपर रहता है।

    उसके अंदर बहुत सारे मोबाइल नोड्स होते हैं जो बिना तारों के आपस में कनेक्टेड रहते हैं। ये सेल्फ configured और सेल्फ हीलिंग नेटवर्क होते हैं जिसमे कोई फिक्स किया हुआ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होता।

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    MANET के नोड्स रैंडम तरीकों से कहीं भी घूमने के लिए स्वतंत्र होते हैं और नेटवर्क की टोपोलॉजी स्वतंत्र रूप से बदलती रहती है। प्रत्येक नोड एक राऊटर की तरह व्यवहार करता है और ट्रैफिक को अगले नोड तक आगे बढाता रहता है।

    MANET के कार्य (function of mobile ad hoc network in hindi)

    MANET ऐसा नेटवर्क है जो स्टैंडअलोन वाले रूप में कार्य कर सकता है या किसी बड़े इन्टरनेट का एक भाग भी हो सकता है।

    वो एक बहुत ही ज्यादा  डायनामिक रूप से ऑटोनोमस टोपोलॉजी को बनाते हैं जो कि नोड्स के बीच या एक से ज्यादा विभिन्न transceivers की उपस्थिति के कारण बनते हैं।

    MANET के लिए सबसे प्रमुख चुनौती होती है स्भिद एविचे को एक साथ ऐसे रखना ताकि ट्रैफिक सही से चलता रहे और सूचनाएँ सही रूट पर पहुँचती रहे।

    इसके नोड्स की ये विशेषताएं होती है:

    • वो पियर टू पियर होते हैं।
    • सेल्फ हीलिंग यानी खुद से खुद को ठीक करने वाले होते हैं।

    MANET सिरका 2000-2015 सामान्यतः 30MHz-5GHz रेडियो फ्रीक्वेंसी पर कार्य करता है। इसका प्रयोग रोड निम्न चीजों में किया जा सकता है:

    • रोड सेफ्टी,
    • वातावरण के लिए विभिन्न सेंसर बनाने में,
    • होम
    • स्वास्थ
    • आपदाओं के समय बचाव कार्य,
    • वायु/ पृथ्वी/ जल में रक्षा के लिए (Defense),
    • हथियार, और
    • रोबोट में….इत्यादि

    MANET की विशेषताएं (characteristics of mobile ad hoc network in hindi)

    इसकी विशेषताओं को नीचे लिस्ट कर रहे हैं:

    • Dynamic Topologies: ऐसे नेटवर्क टोपोलॉजी जो कि एक से ज्यादा hops रखने वाले हो, समय के साथ रैंडम तरीकों से बदल सकते हैं और यूनी-डायरेक्शनल या बाई-डायरेक्शनल लिंक बना सकते हैं।
    • Bandwidth constrained, variable capacity links: वायरलेस लिंक के पास सामान्यतः कम रेलिअबिलिटी, एफिशिएंसी, स्टेबिलिटी और कैपेसिटी होते हैं अगर वायर्ड नेटवर्क से इनकी तुलना की जाये तो। वायरलेस कम्युनिकेशन का थ्रूपुट और भी कम होता है। ये रेडियो के अधिकतम ट्रांसमिशन रेट से भी कम होता है (मल्टीपल एक्सेस, नॉइज़, interference, कंडीशन इत्यादि जैसे constraints को डील करने के बाद)।
    • Autonomous Behavior: हर नोड होस्ट और राऊटर- दोनों की ही भूमिका निभा सकता है जो इनके ऑटोनोमस व्यवहार को दिखाता है।
    • Energy Constrained Operation: चूँकि कुछ या सभी नोड बैटरी या ऊर्जा के किसी और स्रोत पर निर्भर होते हैं, मोबाइल नोड्स के पास कम मेमोरी, पॉवर और हल्के वजन जैसी विशेषताएं होती है।
    • Limited Security: वायरलेस नेटवर्क में सिक्यूरिटी थ्रेट की ज्यादा सम्भावना होती है। एक सेंट्रलाइज्ड फ़ायरवॉल अनुपस्थित रहता है क्योंकि सिक्यूरिटी, होस्टिंग और routing के लिए ये वितरित एप्रोच अपनाते हैं।
    • Less Human Intervention: अगर नेटवर्क को कॉन्फ़िगर करना हो तो इसमें प्रबंधकों द्वारा ज्यादा हस्तक्षेप की जरूरत नहीं पड़ती, इसीलिए इनकी प्रकृति को डायनामिक रूप से ऑटोनोमस कहा गया है।

    MANET के फायदे और खामियां

    MANET के फायदे:

    1. सेंट्रल नेटवर्क संचालन से बलकुल अलग।
    2. प्रत्येक नोड दो भूमिकाएं निभा सकता है- एक राऊटर का और एक होस्ट का जो कि इसे ऑटोनोमस बनाता है।
    3. नोड्स खुद से कॉन्फ़िगर होते हैं और कोई दिक्कत आने पर खुद हेअल होने की क्षमता भी रखते हैं। ह्यूमन इंटरवेंशन यानी संचालकों द्वारा हस्तक्षेप करने की ज्यादा नौबत नहीं आती।

    MANET की खामियां:

    1. नॉइज़, interference कंडीशन इत्यादि के कारण इसमें संसाधन बहुत सीमित ही होते हैं।
    2. authorization फैसिलिटी की कमी होती है।
    3. लिमिटेड फिजिकल सिक्यूरिटी के कारण अटैक होने के चांस ज्यादा होते हैं।

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    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

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