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    युवा बेरोजगार

    भारत में इस समय सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। केन्द्र व राज्य सरकार रोजगार देने के वादे तो कर रही है लेकिन युवाओं को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है बेरोजगारी बढ़ गई है। आंकडो के मुताबिक साल 2016 में नई नौकरियों का सृजन पिछले आठ साल की तुलना में बेहद कम हो गया है।

    सरकारी विभागों में कुल 4 लाख से अधिक नौकरियां रिक्त पड़ी है। लेकिन सरकार इन पर भर्ती नहीं कर रही है और आंखे मूंद कर बैठी हुई है। मोदी सरकार निजी कंपनियों को नौकरी पैदा करने में निवेश लगाने के लिए तो जोर दे रही है लेकिन खुद खाली पड़े सरकारी पदों पर भर्तियां नहीं निकाल रही है।

    संसद में 7 फरवरी को बताया गया कि विभिन्न सरकारी विभागों में मार्च 2016 तक 412752 पद रिक्त है। विभिन्न केन्द्रीय सरकारी विभागों की बात की जाए तो 3.6 मिलियन नौकरियों में से 11 प्रतिशत पद रिक्त है।

    राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए श्रम और रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि बड़ी संख्या में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए निर्देश जारी किए गए है लेकिन कोई निश्चित समय सीमा नहीं बताई है।

    अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने जताई चिंता

    अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने भारत में बेरोजगारी बढ़ने को लेकर कड़ी चिंता जाहिर की है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में भारत में बेरोजगारी 18.3 मिलियन थी। ये साल 2018 में 18.6 और 2019 में 18.9 हो जाएगी।

    संसद में मंत्री ने बताया कि सितंबर 2015 तक भारत के रोज़गार कार्यालयों में करीब 44.9 मिलियन लोग नौकरी चाहने के लिए पंजीकृत थे। मोदी सरकार ने चुनावों से पहले 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था। लेकिन अब अगले साल वापिस से चुनाव आने वाले है और ये वादा बेरोजगारों के लिए वादा बनकर ही रह गया है।

    हर साल 17 मिलियन लोग नौकरी करने के लिए तैयार होते है लेकिन केवल 5.5 मिलियन नौकरियों का निर्माण ही हो पाता है। वहीं सरकारी विभागो में तो इतनी रिक्तियां होने के बावजूद भी सरकारी संगठन भर्तियां नहीं कर रहे है।