गुरुवार को नोटबंदी (डेमॉनीटाइजेशन) के विनाशकारी के परिणामों का जिक्र करते हुए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि 19 नवंबर को भारतीय रिज़र्व बैंक के बोर्ड की होनेवाली मीटिंग के बाद देश को और मुश्किल झटके लग सकते हैं।
आरबीआई बोर्ड ने 19 नवम्बर को मीटिंग का दिन तय किया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने आरबीआई बोर्ड को अपने कठपुतली लोगों से भर दिया है और बोर्ड मीटिंग के जरिये आरबीआई पर कब्ज़ा करने का पूरा प्रयास करेगी।
कोलकाता में नोटबंदी के दूसरी वर्षगांठ पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिदंबरम ने ये बातें कही। चिदंबरम ने कहा कि सरकार चुनावी वर्ष में हाथ खोल कर खर्च करना चाहती है इसलिए उसने आरबीआई से 1 लाख करोड़ रुपये की मांग की है।
When the RBI Governor refused to oblige, the government took the extraordinary and unprecedented step of invoking Section 7 of the RBI Act.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 8, 2018
चिदंबरम ने कहा कि ऐसी स्थिति में आरबीआई गवर्नर के पास दो ही रास्ते हैं, या तो वो पैसे सरकार को दे दे या फिर अपना स्तीफा दे।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि ‘ मेरी नजरों में आरबीआई के गवर्नर जो भी फैसला लेंगे वो सीधे सीधे आरबीआई की विश्वसनीयता को आघात पहुंचाएगा। इसका मतलब ये भी है कि सरकार द्वारा आरबीआई पर कब्जा और एक और बड़ी संस्था का ख़त्म हो जाना।’
चिदंबरम ने ये भी कहा कि सरकार ने आरबीआई पर कब्जे की तैयारी कर ली है और उसने आरबीआई बोर्ड में अपने कठपुतली लोगों को बैठा दिया है।
The day of reckoning is November 19 when the RBI Board is scheduled to meet. The government has packed the RBI Board with its hand-picked nominees and is making every effort to ram through its proposal at the Board meeting.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 8, 2018
8 नवम्बर 2016 को लागू किये गए डिमॉनीटाइजेशन पर निशाना साधते हुए चिदंबरम ने कहा कि इस एक फैसले ने देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ को तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि डिमॉनीटाइजेशन एक बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से प्लान किया गया हवाला था जिसके जरिये देश के काले धन को सफ़ेद किया गया।