प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केरल के पार्टी कार्यकर्ताओं को लोकतांत्रिक और संवैधानिक मानदंडों का पालन करते हुए सबरीमाला मुद्दे पर लोगों को समझाने के लिए अपना दृष्टिकोण मजबूती से व्यक्त करने के लिए कहा।
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ अपने राष्ट्रव्यापी वार्ता के हिस्से के रूप में राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत में मोदी ने कहा कि सार्वजनिक जागरूकता फैलाने के उनके प्रयासों के दौरान कोई ‘अप्रिय घटना’ घटित नहीं होनी चाहिए। अप्रिय घटना से उनका तात्पर्य 55 वर्षीय वेणुगोपाल नैयर की मौत की ओर था जिन्होंने सबरीमाला मुद्दे पर प्रदर्शन के दौरान आत्मदाह कर लिया था।
सबरीमाला मुद्दे पर भाजपा ने बंद का आयोजन किया था इसी दौरान वेणुगोपाल ने आत्मदाह कर लिया। वेणुगोपाल के आत्मदाह पर भाजपा नेदावा किया कि उसने सबरीमाला मुद्दे पर केरल सरकार के रवैये से तंग आकर ये कदम उठाया जबकि पुलिस का कहना है कि वो अवसाद से ग्रसित था, पहले उसने अपने शरीर में आग लगाई फिर प्रदर्शन स्थल की ओर भागा।
प्रधानमंत्री ने कहा “जो वर्षों ने सत्ता में हैं वो लोकतंत्र की इज्जत नहीं करते। उन्होंने राज्य में भाजपा और लोगों की आवाज दबाने के लिए हर संभव कदम उठाये हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में नाकाम रही है।”
उन्होंने कहा “केरल में प्रशासन के दो मॉडल काम करते हैं। एक कम्युनिस्ट मॉडल और एक कांग्रेस मॉडल। दोनों मॉडल भ्रष्टाचार और अक्षम शासन के मॉडल हैं। शासन का बीजेपी मॉडल विकास का एक मॉडल है। यह त्वरित विकास, समावेशी और समस्त दौर के विकास का एक मॉडल है।” उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता लोगों की आवाज बन रहे हैं, भले ही इसके लिए उन्हें राजनीतिक हिंसा की क्रूरता का सामना करना पड़ा है।
एक पार्टी कार्यकर्ता के सवाल पर पार्टी दक्षिणी राज्य में अपना आधार कैसे बढ़ा सकती है? उन्होंने कहा कि उन्हें लोगों की आवाज सुननी चाहिए और फिर लोग उनकी आवाज़ें सुनेंगे।