Sat. Nov 23rd, 2024
    नरेंद्र मोदी

    नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)| मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में प्रौद्योगिकी-नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक क्रांति को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग में ‘ज्ञान एवं नवाचार’ के दायरे को फिर से परिभाषित करने जा रही है। मालदीव की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, उच्च अधिकारियों और खास कैबिनेट सहयोगियों से चर्चा की। इसका मुख्य विषय यह रहा कि चीन के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए विनिर्माण क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवाचार को कैसे गुणात्मक रूप से फिर से परिभाषित किया जाए।

    कुल मिलाकर, सरकार और नीति आयोग का मुख्य ध्यान अब भी भारत में विनिर्माण क्षेत्र को गति प्रदान करने पर है। घरेलू मोर्चे पर प्रधानमंत्री मोदी की निगाह जल प्रबंधन, कृषि और सुरक्षा मुद्दों पर है और माना जा रहा है कि 15 जून को नीति आयोग की पहली बड़ी बैठक की अध्यक्षता करने के दौरान वह अपनी प्राथमिकताओं का खुलासा करेंगे।

    नीति आयोग की कथित विफलता को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तीखी आलोचना के बीच ऐसा लग रहा है कि सरकार आयोग को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाह रही है जिसमें विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव या इससे ऊपर के स्तर पर इसमें शामिल करना शामिल है।

    नीति आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “देश में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) की सफलता है। अगर एआईएम सफल होता है तो देश जल्द ही चीन के विकल्प के रूप में एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरेगा।”

    नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने हाल ही में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के संदर्भ में मीडिया से कहा था कि मोदी सरकार कई बड़े आर्थिक सुधारों पर काम कर रही है। इसमें श्रम कानून में बदलाव, निजीकरण की दिशा में उठाए जाने वाले कदम और नए औद्योगिक विकास के लिए लैंड बैंक शामिल हैं। जब एक बार सकारात्मक औद्योगिक माहौल बन जाएगा तब नवाचार मिशन विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि को गति देगा।

    एडोब, अमेजन, डेल, आईबीएम, इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियां पहले से ही अटल इनोवेशन मिशन की साझेदार हैं। एआईएम विश्वस्तरीय नवाचार केंद्रों और प्रौद्योगिकी संचालित क्षेत्रों में स्वरोजगार की गतिविधियों को बढ़ावा देने के एक प्लेटफॉर्म के रूप में काम कर रहा है।

    एआईएम के जरिए सरकार देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योग में गुणात्मक बदलाव की उम्मीद कर रही है।

    मोदी के पहले कार्यकाल में उनके कैबिनेट मंत्रियों कलराज मिश्र और गिरिराज सिंह एमएसएमई मंत्रालय को चलाने के दौरान व्यापारिक जगत पर अपने कामकाज की छाप नहीं छोड़ सके थे। मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में इस बेहद खास मंत्रालय की जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपी है जो समय पर काम को अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं।

    गडकरी के नजदीकी एक भाजपा नेता ने बताया, “मोदीजी ने इस प्रोजेक्ट के बारे में गडकरीजी से बात की। वह (गडकरी) इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए पूरी इच्छा से तैयार हैं। मुझे पक्का विश्वास है कि एमएसएमई अब सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से होगा क्योंकि यह सीधे बेरोजगारी की समस्या और तेज औद्योगिक विकास के नहीं होने की समस्या से जूझता है।”

    एक अन्य बड़ा बदलाव अटल टिंकरिंग लैब (एएलटी) के रूप में सामने आया है। यह युवा भारतीय सोच में क्रांतिकारी बदलाव लाने की मोदी की दीर्घकालीन योजना है। एएलटी नवाचार काम करने की जगहें हैं जहां सरकारी अनुदान की मदद से स्कूलों में थ्री डी प्रिंटर, रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी नवीनतम प्रौद्योगिकी मौजूद होती हैं। एआईएम के मिशन डॉयरेक्टर आर. रामनन का कहना है कि अगले साल तक देश के स्कूलों में दस हजार एटीएल वर्कप्लेस होंगे और यह नवाचार के क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन लाएंगे।

    बड़े पैमाने के इस एटीएल प्रोजेक्ट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी का मकसद भारत को प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में विश्व में अगुआ बनाना है जोकि आज आधुनिक समय के उद्योगों को चलाने की धुरी हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *