पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने शुक्रवार को ‘छोटे लोगों ने उच्च दर्जे के दफ्तर संभल रखे हैं’ वाले ट्वीट में कहा कि इसका तात्पर्य भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नहीं था। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आखिर यह बात उन्होंने किस के लिए कही थी।
उन्होंने कहा कि आम सहमती शांति के लिए किया गया है, इस शांति को भाग करने की गलती मत कीजिये। क्रिकेटर से राजनीति की पिच पर आये इमरान खान ने अपना गुस्सा तब जाहिर किया, जब भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र की बैठक के इतर दोनों राष्ट्रों की विदेश मंत्रियों की मुलाकात को रद्द कर दिया था। भारत ने यह वार्ता प्रक्रिया एक आतंकी हमले के बाद निरस्त की थी।
Disappointed at the arrogant & negative response by India to my call for resumption of the peace dialogue. However, all my life I have come across small men occupying big offices who do not have the vision to see the larger picture.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) September 22, 2018
इमरान खान के ट्वीट में कहा कि मेरे शांति वार्ता के न्योते के बावजूद भारत के घमंडी रवैये और नकारात्मक जवाब ने मुझे निराश किया है। उन्होंने कहा कि छोटे व्यक्ति ने विशाल भवन की कुर्सी पर कब्जी रखा है जिसकी दूरदृष्टिता बेहद कमजोर है।
पाकिस्तान के विदेश विभाग ने सार्क समारोह में भारत को न्योता भेजने की बात कही थी। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत पाकिस्तान में आयोजित सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा और पडोसी देश को पहले आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने से रोकना होगा। विदेश मंत्री ने करतारपुर गलियारे के निर्माण के फैसले का स्वागत किया है।
सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान के आमंत्रण पर हम सकारात्मक रुख नहीं दिखा पायेंगे क्योंकि जैसा मैने कहा कि पाकिस्तान जब तक भारत में अपनी आतंकी गतिविधियों पर लगाम नहीं लगाता, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी और इसलिए हम सार्क सम्मेलनमे शरीक नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान भारत में आतंकी गतिविधियाँ रोक देगा तब भारत बातचीत की शुरुआत करेगा, क्योंकि बातचीत सिर्फ करतारपुर गलियारे से नहीं जुड़ी है।
इमरान खान ने शपथ ग्रहण समारोह के भाषण के दौरान खा था कि अगर भारत शांति के लिए एक कदम बढायेगा तो पाकिस्तान दो कदम बढ़ाएगा। करतारपुर गलियारे के शिलान्यास समारोह ने इमरान खान ने कहा कि एक खिलाड़ी हमेशा हार से डरता है जबकि दुसरे का लक्ष्य हमेशा जीता होता है।
उन्होंने कहा कि जब फ़्रां और जर्मनी के के मध्य काफी युद्धों के बाद शांति स्थापित की जा सकती है तो अन्य देशों में क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि जब तक हम लांछन लगाने का खेल खेलते रहेंगे, तब तक कुछ बड़ा नहीं कर सकते हैं।