अर्थव्यवस्था में अतीत में आ चुके उतार-चढ़ाव का उ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पूर्व की सरकारों के मैको इकॉनोमिक डेटा का हवाला देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था में बहुत मजबूती के साथ फिर सुधार आएगा। उद्योग मंडल एसोचैम के शताब्दी समारोह में मोदी ने कहा कि पिछली सरकार में एक तिमाही में जीडीपी विकास दर 3.5 फीसदी तक गिर गई थी और अन्य मैक्रो संकेतक समान रूप से निराशाजनक थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस बहस में नहीं पड़ना चाहते कि कुछ लोग तब चुप क्यों रहे। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था मौजूदा मंदी से बाहर आएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछली सरकारों में भी एक तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 3.5 फीसदी तक गिर गई थी। उस दौरान सीपीआई महंगाई कहां तक पहुंची? आपको याद होगा यह 9.4 फीसदी तक पहुंच गई थी। सीपीआई कोर महंगाई कहां पर थी? यह 7.3 थी। डब्ल्यूपीआई महंगाई क्या थी? यह 5.2 फीसदी तक पहुंच गई थी। राजकोषीय घाटा किस स्तर तक पहुंच गया था? यह जीडीपी का 5.6 फीसदी था।”
उन्होंने कहा, “उस समय कई तिमाहियों में ऐसा हो गया था जो अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से बहुत निराशाजनक था। मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता कि तब कुछ लोग चुप क्यों थे।”
देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में छह साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी तक गिर गई, जिसकी विपक्षी दल आलोचना कर रहे हैं। ज्यादा संकेतक जैसे कोर सेक्टर डेटा, विनिर्माण विकास और बिजली उत्पादन हतोत्साहित कर रहे हैं।
इसके अलावा कई कदम बैंकिंग प्रणाली को मजबूत व पारदर्शी बनाने के लिए उठाए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप 13 बैंक लाभदायक साबित हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी, जबकि 25 लाख करोड़ रुपये ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रोत्साहन पर खर्च करेगी।
मोदी ने कहा कि बीते पांच सालों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) लगातार बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि भारत की ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रैंकिंग में तेजी से सुधार हुआ है और अब यह पूर्व के 142 के 63वें स्थान पर आ गई है।
विज्ञान भवन में उद्योग के प्रमुखों को संबोधित करने के दौरान मोदी ने कहा कि कॉरपोरेट कर वर्तमान में देश के इतिहास में सबसे कम हैं और कर प्रणाली में सुधार का जिक्र किया।