सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर धावा बोल दिया है। उन्होंने कहा है कि, सरकार की ओर से आ रहे बयानों का कारण वे चुप्पी को तोड़ने और पुलवामा हमले के समय पर सवाल उठाने को मजबूर है।
उन्होंने भाजपा प्रमुख अमित शाह और पीएम मोदी को कहा है कि, “देश में केवल वही दोनों देशभक्त नहीं हैं। जिस तरह वे पुलवामा हमले पर रोज-रोज नए बयान दे रहे हैं ऐसा लग रहा है कि केवल उन्हें ही अपने देश से प्यार है, हमें नहीं है।”
ममता ने सवाल का रुख अपनाते हुए पूछा कि, जरा बताएं कि पिछले पांच सालों में इन लोगों ने पाकिस्तान को रोकने के लिए क्या कदम उठाए है? पाकिस्तान को ऐसा जोखिम भरा काम करने की हिम्मत कहां से मिल रही है? संसद सत्र खत्म होने का बाद या आम चुनाव के पहले ही यह हमला क्यों हुआ? काफिले में 2500 सीआरपीएफ जवान 78 गाड़ियों में जा रहे थे तो उन्होंने सुरक्षा क्यों नहीं दी गई थी? सरकार को खुफिया विभागों ने पहले ही सतर्क रहने को कहा था बवजूद सरकार ने कदम क्यों नहीं उठाए? सरकार इतने सैनिकों को मरने के लिए कैसे छोड़ सकती है? सीआरपीएफ जवानों ने एयर लिफ्ट की मांग की थी, तो उन्हें सेवा क्यों नहीं मिली?
मीडिया को संबोधित करने के दौरान उन्होंने सरकार पर उनका फोन टैप किए जाने के इल्जाम भी लगाए हैं। उन्होंने कहा कि, “मेरे पास सबूत हैं कि मेरा फोन टैप किया जाता है। सही वक्त आने पर मैं सभी सबूतों को सबके सामने रखूंगी।”
बनर्जी ने कहा, शाह और मोदी दोनों देश के शोक समय में जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। चार दिनों तक मैं चुप थी, कुछ नहीं कहा लेकिन वे लगातार बोले जा रहे हैं इसलिए मैं अपनी चुप्पी तोड़ रही हूं।
तंज कसते हुए ममता ने बोला कि, “मोदी बाबू और शाह जी अगर आपसे आपकी जिम्मेवारियां नही सभंल रही हैं तो इस्तीफा दे दीजिए। कम से कम न्याय के नाम पर अन्याय को मत बढ़ाइए।”
उन्होंने सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की ओर भी तीखा रुख अपनाते हुए कहा, “अजित डोभाल क्या कर रहें हैं मुझे समझ नहीम आता। वे युद्ध के बदले युद्ध, हिसां के बदले हिंसा की बात करते हैं लेकिन शांति, अमन की बात कभी नहीं कहते।”
हालांकि सीबीआई बनाम राज्य सरकार विवाद के बाद यह कोई पहली बार नहीं है जब ममता ने अजित डोभाल पर तंज कसा है। इससे पहले भी उन्होंने उनपर केंद्र के इशारे पर विपक्षी पार्टियों को तंग करने के आरोप लगाए हैं।
ममता ने कहा कि बीते दो दिनों से वे देख रही हैं कि आरएसएस के लोग शाम होते-होते सड़कों पर तिरंगा और मोमबत्ती लेकर निकल पड़ते हैं लेकिन जनता बेवकूफ नहीं है। वह आरएसएस के बहकावे में नहीं फसेगी।