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    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को माडल टेनेंसी एक्ट (एमटीए) पर मुहर लगा दी है। इसके अंतर्गत जिलों में किरायेदारों और मालिकों के हितों की रक्षा के लिए किराया प्राधिकार, कोर्ट व ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा। आवासीय परिसर के लिए किरायेदार को अधिकतम दो महीने के किराये के बराबर की राशि बतौर सिक्योरिटी जमा करनी होगी, जबकि व्यावसायिक संपत्ति के लिए छह महीने के किराये के बराबर की। मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।

    राज्य व केंद्रशासित प्रदेश नया कानून बनाकर अथवा मौजूदा नियमों में संशोधन के जरिये माडल टेनेंसी एक्ट को लागू कर सकते हैं। इस कानून के तहत सभी नए किरायेदारों के साथ लिखित समझौता करना होगा और उसे संबंधित जिले के किराया प्राधिकार के पास जमा कराना होगा। किराया और उसकी अवधि मालिक व किरायेदार की आपसी सहमति से लिखित रूप में तय होगी। सरकार ने कहा कि माडल टेनेंसी एक्ट को संभावनाओं के साथ लागू किया जाएगा और इससे मौजूदा किरायेदारी प्रभावित नहीं होगी। वह आवासों की किल्लत को दूर करने के लिए निजी भागीदारी को बिजनेस माडल के रूप में प्रोत्साहित करना चाहती है। इससे देश में किराये के मकान का बाजार विकसित होगा। सभी आयवर्ग के लोगों के पास मकान उपलब्ध होगा और घर की कमी दूर हो सकेगी।

    सरकारी बयान के अनुसार, इससे देश में किराये के लिए आवास के बारे में कानूनी ढांचे का कायापलट करने में मदद मिलेगी और इस क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास हो सकेगा। इसमें कहा गया है कि मॉडल किरायेदारी अधिनियम का मकसद देश में एक विविधतापूर्ण, टिकाऊ और समावेशी किराये के लिए आवासीय बाजार सृजित करना है। इससे हर आय वर्ग के लोगों के लिये पर्याप्त संख्या में किराये के लिए आवासीय इकाइयों का भंडार बनाने में मदद मिलेगी। मॉडल किरायेदारी अधिनियम से आवासीय किराया व्यवस्था को संस्थागत रूप देने में मदद मिलेगी।

    मॉडल किरायेदारी अधिनियम के लागू होने पर हर आय वर्ग के लोगों के लिये पर्याप्त संख्या में किराये के लिये आवासीय इकाईयों का भंडार बनाने में मदद मिलेगी और बेघर होने की समस्या का हल निकलेगा। इससे खाली पड़े घरों को किराये पर उपलब्ध कराया जा सकेगा।

    सरकार को उम्मीद है कि इसके जरिये किरायेदारी बाजार को व्यापार के रूप में विकसित करने में निजी भागीदारी बढ़ेगी, ताकि रिहायशी मकानों की भारी कमी को पूरा किया जा सके। मॉडल किरायेदारी अधिनियम से आवासीय किराया व्यवस्था को संस्थागत रूप देने में मदद मिलेगी ।

    राज्य सरकारों को मर्जी होगी तो वे यह कानून अपने यहां भी लागू कर सकेंगी। हालांकि, वहां यह कानून पिछली तारीखों से लागू नहीं होगा। यानी, दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में वैसे हजारों प्रॉपर्टी मालिकों को कोई राहत नहीं मिलेगी जिन्हें प्राइम कमर्शल लोकेशन पर भी पुराने अग्रीमेंट्स के मुताबिक बेहद कम किराया मिल रहा है। इस मुद्दे पर जो मुकदमे चल रहे हैं, वे चलते रहेंगे। केंद्र सरकार की हाउसिंग मिनिस्ट्री पहले भी इसी तरह का मॉडल ऐक्ट लाई थी, लेकिन उसे दिल्ली और मुंबई के व्यापारियों के कड़े विरोध के कारण लागू नहीं किया जा सका था। उस कानून में पुराने कॉन्ट्रैक्ट्स की समीक्षा की भी बात थी।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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