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    मैरीकॉम

    गुवाहाटी, 24 मई (आईएएनएस)| छह बार की विश्व विजेता मैरी कॉम ने शुक्रवार को करमबीर नबीन चंद्र बारदोलोई एसी इंडोर स्टेडियम में खेले गए इंडिया ओपन अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी टूर्नामेंट के 52 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

    मैरी के अलावा सरिता देवी आखिरकार तीन साल से चले आ रहे अपने स्वर्ण पदक के सूखे को खत्म करने में सफल रही हैं। सरिता ने 60 किलोग्राम भारवर्ग में सोने का तमगा जीता। इससे पहले उन्होंने शिलांग में 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। 57 किलोग्राम भारवर्ग के मुकाबले में नीरज ने मनीषा मौन को मात दे सोने का तमगा हासिल किया।

    मैरी कॉम ने फाइनल में वेनिला दुआती को 5-0 से मात दी। यह मैरी का इंडिया ओपन का दूसरा स्वर्ण है। इससे पहले वो 48 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण जीत चुकी हैं।

    वहीं पुरुषों में अमित पंघल (52 किलोग्राम भारवर्ग) और शिवा थापा (60 किलोग्राम भारवर्ग) ने टूर्नामेंट का अंत स्वर्ण जीतते हुए किया है।

    पंघल ने फाइनल में अपने ही देश के सचिन सिवाच को मात दी। सचिन का कद अमित से ज्यादा था बावजूद इसके अमित मुकाबला जीतने में कामयाब रहे। पहले राउंड में वह डिफेंसिव खेले, लेकिन दूसरे राउंड का अंत होने तक वह आक्रामक हो गए थे। यहां से अमित ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सचिन को मात दी।

    मैच के बाद पंघल ने कहा, “सचिन काफी लंबे हैं। मुझे लगता है कि मैंने अभी तक जितने मुक्केबाजों का सामना किया है उनमें वह सबसे लंबे हैं। मैं एशियाई चैम्पियनशिप में लंबे मुक्केबाजों से लड़ा था, लेकिन सचिन उनसे भी लंबे हैं। मेरी कोशिश थी या तो मैं उनके बहुत करीब जाऊं या दूरी बनाए रखूं। दूर रहने से मुझे उनकी तकनीक के बारे में भी पता चल रहा था और इसके बाद मैंने पास जाकर आक्रमण किया।”

    शिवा ने अपने घर में बेहतरीन प्रदर्शन कर भारत के ही मनीष कौशिक को मात दी। इसी के साथ शिवा ने 2018 में मनीष के हाथों मिली हार का बदला भी ले लिया। गुवाहाटी के शिवा ने यह मैच 5-0 से जीता।

    सरिता देवी ने फाइनल में सिमरनजीत कौर को 3-2 से मात देते हुए स्वर्ण हासिल किया। यह सरिता का बीते तीन साल में पहला स्वर्ण है। उन्होंने यह पदक अपनी मां को समर्पित किया है जिन्होंने कैंसर के कारण अपनी जान गंवा दी थी।

    विश्व चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता सोनिया को मात देने के बाद नीरज ने अपना दबदबा फाइनल में भी बरकरार रखा और मनीषा को 5-0 से पटखनी दी।

    एशियाई चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता आशीष कुमार ने 69 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में बेहतरीन क्लास का परिचय देते हुए दुर्योधन सिंह नेगी को 5-0 मात दी। स्थानीय खिलाड़ी जमुना बोरो ने वाई. संध्यारानी को 5-0 से हराया।

    विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता लवलिना बोरगोहेन को हालांकि 69 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें इटली की असुंता केनफोरा ने 3-2 से हराया।

    एशियाई चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता दीपक ने 49 किलोग्राम भारवर्ग में गोविंद कुमार साहानी को 5-0 से पटका। बेहतरीन फॉर्म में चल रहे कविंदर सिंह बिष्ट को भी आखिरीकार हार मिली। उन्हें चाटचाई डेचा बुटदी ने हराया।

    64 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में रिंग में उतरे रोहित टोकस को पहले ही दौर में घुटने में चोट लगी और वह मुकाबला पूरा नहीं कर पाए। इसी कारण उनके विपक्षी मॉरिशस के कोलिन लुइस रिचार्नो को स्वर्ण पदक मिला।

    आशीष कुमार से 75 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण की उम्मीद थी लेकिन सेमीफाइनल में सिर पर लगी चोट के कारण वह रिंग में नहीं उतरे और उनके विपक्षी फिलिपिंस के फेलिक्स डेलोस सांतोस को स्वर्ण मिला।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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