भारत की स्टार मुक्केबाज मैरीकॉम जिन्होने अपने नाम एतिहासिक छठा विश्व पद जीता था, उनको 10वीं विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप का सर्वश्रेष्ठ बॉक्सर घोषित किया गया। आईबा के पैनेल ने भारत के मणिपुर की रहने वाली इस 35 वर्षीय खिलाड़ी को विश्व की सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज चुना, जिनकी दृढ़ता, सहनशक्ति और ना मरने की क्षमता इतिहास में हमेशा याद की जाएगी।
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मैरीकॉम ने आफिशियल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपनी 2006 विश्व प्रतियोगिता को याद करते हुए कहा कि कुछ ही बॉक्सर इधर भाग लेने आते थे और ना ही ओलंपिक में भाग लेते थे। तब हमने आठ मेडल अपने नाम किये थे जिसमें चार गोल्ड थे लेकिन अब प्रतियोगिता बहुत कठिन हो गई हैं और हम इस बार केवल एक गोल्ड, एक सिल्वर और दो ब्राउंज मेडल ही जीत पाए हैं। मैरीकॉम ने कहा कि मेरी यह जीत 2006 वाली जीत से ज्यादा सही थी।
इस समय में मैं प्रेशर में थी और मैनें अपना भार वर्ग भी बदल रखा था। मैनें इससे पहले 2010 में गोल्ड मेडल जीता था और उसके बाद मैनें ओलंपिक में भाग लेने के लिए अपना भार वर्ग बदल लिया। मैरे ऊपर इस टूर्नामेंट में हमेशा प्रशेर था लेकिन मैंन उस प्रेशर को खेल पर नही चढ़ने दिया और गोल्ड मेडल जीता। मैरीकॉम ने कहा कि इससे पहले 2010 तक मेरे नाम पांच गोल्ड मेडल थे लेकिन आयरलैंड की केटी टेलर यह नहीं कर पायी।
10वें आईबा टूर्नामेंट में सोनिया चहल (57 किग्रा) में सिल्वर तो वही लवलीना ने (69 किग्रा) में कांस्य पदक जीता। लवलीना नें कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में हुए इस टूर्नामेंट ने भारतीय बॉक्सर को आत्मविश्वास से भर दिया हैं। जिससें हमारे लिए विदेश की बेस्ट खिलाड़ियों को हराना आसान हो गया था। हमने इस प्रतियोगिता में कई अच्छे खिलाड़ियो और चैंपियन को मात दी हैं, लेकिन हमें आगे आने वाले खेलों के लिए और कड़ी महनत करनी होगी।
बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया प्रजिडेंट अजय सिंह ने भी कहा कि विश्व के सभी देशों द्वारा इस संस्थान को पूरे नंबर दिये गए हैं, और कहां कि यह कुछ सालों में सबसे अच्छी प्रतियोगीता में से एक हैं।