अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने फरवरी में 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के 13.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। आधिकारिक अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत संकुचित हुई है।
मूडीज ने कहा, ‘‘भारत कोविड-19 की भीषण दूसरी लहर का सामना का कर रहा है। जो निकट-अवधि के आर्थिक सुधार को धीमा और लंबी अवधि के विकास गति को कम कर सकता है। कोरोना संक्रमण के नए मामलों में तेजी ने भारत की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था पर बहुत अधिक दबाव डाला जिससे अस्पतालों में चिकित्सा आपूर्ति कम पड़ गई।’’
उसने कहा कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आर्थिक सुधार को बाधित करेगी और इससे लंबी अवधि के लिए जोखिम बढ़ता है। कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
एजेंसी ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि अप्रैल-जून तिमाही तक आर्थिक उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव रहेगा। लेकिन वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था मजबूती से रिकवरी करेगी। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण हमने आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान को संशोधित किया है। आर्थिक दर के वित्त वर्ष 2021-22 में 13.7 प्रतिशत से घटकर 9.3 फीसदी रहने का अनुमान है।’
आरबीआई के मौजूदा अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की इकोनॉमी 10.5 फीसद की दर से आगे बढ़ सकती है। केंद्रीय बैंक ने बेस इफेक्ट की वजह से इकोनॉमी में इस वृद्धि का अनुमान जाहिर किया है। दूसरी ओर कुछ विश्लेषकों ने आगाह किया है कि अगर दूसरी लहर जून में चरम पर पहुंचती है तो चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर घटकर 8.2 फीसद पर आ सकती है।
मूडीज ने कहा है कि भारत कोविड-19 की भयावह दूसरी लहर के चपेट में है। इससे आने वाले कुछ समय में आर्थिक रिकवरी की रफ्तार सुस्त पड़ जाएगी। साथ ही लंबी अवधि में वृद्धि से जुड़े पहलुओं पर भी असर देखने को मिला। कोरोना की बढ़ती रफ्तार के चलते मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को ‘बीएए3’ लेवल नकारात्मक आउटलुक के साथ बरकरार रखा है। इसकी वजह उसने बढ़ता कर्ज, आर्थिक वृद्धि में बाधाएं और कमजोर वित्तीय प्रणाली को बताया है. एजेंसी का कहना है कि देश के पॉलिसी मेकर और संस्थान इन जोखिमों से पार पाने में संघर्ष कर रहे है।
मूडीज ने देश के राजकोषीय घाटे पर भी कोरोना की इस लहर के असर का अनुमान जताया है। उसका अनुमान है कि 2021-22 में देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 11.8% तक तक पहुंच सकता है. फरवरी में उसने ये 10.8% रहने की बात कही थी। मूडीज का कहना है कि धीमी आर्थिक वृद्धि और बढ़ते राजकोषीय घाटे से सरकार पर कर्ज का बोझ 2021-22 में जीडीपी का 90% और 2022-23 में बढ़कर 92% हो सकता है।