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    ट्रिपल तलाक़ ख़त्म

    भारत की मुस्लिम महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा है जिसमे उन्होंने महिलाओं के साथ होने वाली घटना जैसे हलाला और खतना को बंद करने को कहा है।

    देश में कल सुप्रीम कोर्ट ने यह एलान किया था कि ट्रिपल तलाक़ संविधान के खिलाफ है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। अदालत के इस फैसले से देश में मौजूद तक़रीबन 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को आज़ादी मिली। फैसले के तुरंत बाद मुस्लिम महिलाओं ने इस फैसले का स्वागत किया और खुशियां मनाई।

    आज शिया समुदाय के बोहरा समाज की एक महिला मासूमा रानाल्वी ने प्रधानमंत्री मोदी को एक खत लिखा है जिसमे उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के साथ धर्म के नाम पर होने वाले अन्याय और पापों पर चर्चा की है। मासूमा के अनुसार ट्रिपल तलाक़ की तरह इनपर भी रोक लगनी चाहिए। मासूमा ने लिखा कि हम महिलाओं को आज़ादी तब तक नहीं मिल सकती जब तक धर्म के नाम पर हमारे साथ बलात्कार होता रहेगा।

    मासूमा ने लिखा कि संविधान में हर व्यक्ति को समानता का हक़ है। इसके बावजूद कन्यायों को गर्भ में ही मार दिया जाता है, छोटी बच्चियों का खतना कर दिया जाता है, बहुओं का दहेज़ के नाम पर हत्या कर दी जाती है, लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार किये जाते हैं। इन सब घटनाओं के दौरान महिलाओं के संवैधानिक हक़ का शोषण होता है।

    इसके बाद मासूमा ने अपने खत के जरिये मोदी को खतना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम वर्ग के बोहरा समुदाय में जब एक बच्ची सात साल की हो जाती है, तब उसे काजी या डॉक्टर के पास ले जाया जाता है। इसके बाद उनके क्लाइटोरिस को काट दिया जाता है। इससे बच्ची को पूरी उम्र दर्द सहना पड़ता है। ऐसा करना एक लड़की के जीवन के लिए सबसे बड़ा अन्याय होता है। ऐसा करने से कुछ लड़कियां को दर्द के मारे ही दम तोड़ देती हैं। जो लड़कियां बच जाती हैं उन्हें पूरी उम्र दर्द का सामना करना पड़ता हैं।

    मासूमा के मुताबिक ऐसे बहुत सी प्रथाएं मुस्लिम समाज में चली आ रही है और इन्हे रोकना अत्यंत आवश्यक है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।