पाकिस्तान की अदालत ने गुरुवार को सरकार को नोटिस जारी कर, पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मामले में देरी के बाबत जवाब मांगा है।
दुन्या न्यूज़ के मुताबिक अदालत ने परवेज मुशर्रफ को पाक वापस लाने के लिए सरकार द्वारा उठाए कदमों के बारे में जानकारी भी मांगी है।
पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ आरोप
परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मामला पूर्ववर्ती नवाज शरीफ की सरकार पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज ने साल 2013 में दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ ने गैरकानूनी तरीके से लेकर संविधान को बर्खास्त किया और साल 2007 में देश पर आपातकाल का धब्बा लगा दिया था।
पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ सुनवाई मार्च 2016 से लंबित है क्योंकि वह इलाज का बहाना बनाकर दुबई चले गए थे और उसके बाद वापस नहीं लौटे। गुरूवार को सुनवाई के दौरान पाकिस्तान शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने कहा कि “अगर वह पाकिस्तान वापसी से इंकार करते हैं तो मुशर्रफ का ब्यान वीडियो कॉल के जरिये भी रिकॉर्ड किया जा सकता है।”
वीडियो के जरिये बयान
जिओ न्यूज़ ने जज खोसा के हवाले से कहा कि “अगर मुशर्रफ वापसी को इंकार करता है तो उसका वीडियो के जरिये बयान रिकॉर्ड किया जाए। अगर वह वीडियो के द्वारा भी बयान देने को राज़ी नहीं होते तो यह समझ जाना चाहिए कि वह अपने खिलाफ लगाए इल्जामों को खारिज कर रहे हैं। इसके बाद अदालत उनके सभी बयानों पर खारिज लिख सकती है।”
परवेज़ मुशर्रफ पर साल 2007 से तत्कालीन सरकार का तख्तापलट करने के लिए देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है साथ ही उन्होंने संविधान को बर्खास्त किया था। वह वर्ष 2016 में स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कतों का हवाला देकर दुबई चले गये थे तब से वापस पाकिस्तान नहीं लौटे।
पूर्व राष्ट्रपति पर साल 2014 में देशद्रोह (पाकिस्तान के संविधान को बर्खास्त करने) और देश पर आपातकाल थोपने का दोषी माना गया। परवेज़ मुशर्रफ़ ने पाकिस्तान पर साल 1999 से 2008 तक हुकूमत चलाई। वे पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और लाल मस्जिद हत्याकांड के केस में संधिग्द भी थे।