राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।
दुनिया में राम से बड़ा कोई शब्द नहीं है या फिर इस पंक्ति से बड़ा कोई अर्थ नहीं है, इसलिए तो 1990 में राम राम जपने वाले राम के साथ हमेशा के लिए जुड़ गए अर्थात एक नरसंहार में 28 लोग अपनी जान गवां बैठे, पर अब क्या तारीफ करे इस राजनीति की, जिसने इतने संवेदनशील विषय को भी अपनी सियासत को गर्म करने के लिए अपनी यज्ञ की आहुति बना लिया। वह कहते है ना “सो सुख धाम राम आस नामा, अखिल लोक दयाक विश्राम” अर्थात इस जगत में एक सुख का भवन है जिसे राम भवन कहा जाता है और जिसे वहां सुख प्राप्त नहीं, उसे अन्यत्र संसार में सुख प्राप्त नहीं। इसी बात को अपने जीवन का आधार मानते हुए विश्व हिन्दू परिषद ने एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में हवाओं के रुख को पहचान अपनी आवाज को बुलंद कर दिया है।
आपको बता दे, 2 नवंबर, 1990 में एक नरसंहार हुआ था, उत्तर प्रदेश में स्थित भगवन राम के जन्म स्थल अयोध्या में कारसेवकों पर उस समय की तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार ने गोली चलाने का आदेश देते हुए 28 कारसेवकों की ह्त्या कर दी थी। वह कहते है ना “इतिहास किसी जगह का छोटा या बड़ा नहीं होता बस उसे देखने का नजरिया चाहिए”, घटना भी बहुत बड़ी थी आखिर हो भी क्यों ना राम के देश में राम भक्तों की हत्या होना अपने आप में सब कुछ बयान करता है।
आपको बता दें, अब यह मुद्दा फिर से चर्चा का विषय बन चूका है विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने उत्तर प्रदेश की सरकार से पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह पर वर्ष 1990 में अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलवाकर उनकी जान लेने के आरोप में मुकदमा दर्ज करके उन्हें जेल में डालने की मांग की है। विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने एक बयान में कहा कि सपा संस्थापक और उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम बार-बार कह रहे हैं कि वर्ष 1990 में उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवाई और अगर उन्हें और लोगों को मरवाना होता तो वह संकोच नहीं करते। योगी सरकार इस बयान का संज्ञान लेते हुए उन पर हत्या का मुकदमा दर्ज करके उन्हें तत्काल गिरफ्तार कराए।
इतना ही नहीं विश्व हिन्दू परिषद के नेता ने उनकी तुलना जनरल डायर से भी कर दी है जो अपने आप में इस विषय की गम्भीरता को दर्शाता है।