मुम्बई की एक अदालत ने पाकिस्तान के दो आर्मी अफसरों मेजर अब्दुल रहमान पाशा और मेजर इक़बाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। इस केस में सिटी पुलिस क्राइम ब्रांच पुलिस द्वारा जारी चार्जशीट में मेजर इक़बाल और मेजर पाशा को इस केस में दोषी पाया गया है। अमेरिका में जन्मे लश्कर ए तैयबा के आतंकी डेविड हेडली के मुताबिक मेजर इक़बाल अभी भी पाकिस्तान की आईएसआई में कार्यरत है, जबकि मेजर पाशा रिटायर हो चुका है।
अदालत के समक्ष दाखिल याचिका में लश्कर ए तैयबा के संचालक सैय्यद जबिउद्दीन अंसारी और अबु जंदल के खिलाफ 26/11 याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील उज्ज्वल निकम ने बताया कि हेडली से पूछताछ में पाक के दो सैन्य अफसरों के नाम सामने आए हैं। हेडली अभी अमेरिकी जेल में हैं और उसका बयान साल 2016 में एक वीडियो कांफ्रेंस के जरिये लिया गया था।
वकील ने कहा कि बयान के मुताबिक26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले को न सिर्फ पाकिस्तानी समर्थित आतंकी समूहों ने अंजाम दिया बल्कि इसे पाकिस्तान की सेना का पूरा समर्थन था। अदालत ने दो पाक सैन्य अधिकारियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया और अगली सुनवाई के किये 6 फरवरी की तारीख का ऐलान किया था।
हेडली के मुताबिक आतंकियों की बैठक में मेजर पाशा और मेजर इक़बाल शामिल थे और इसके अलावा एलईटी के संचालक साजिद मीर, अब खाफ़ा और जकीउर रहमान लखवी भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि भारत मे खुफिया कार्य के लिए मेजर इक़बाल ने उसे 25000 डॉलर की धनराशि भी दी थी। मेजर इक़बाल ने हेडली से भामा अटॉमिक रीसर्च सेंटर और शिवसेना राजनीति पार्टी के दफ्तर सेना भवन के बारे में अधिक जानकारी लाने को कहा था। इस हमले के दौरान हेडली मेजर पाशा के संपर्क में था।
नवंबर 2008 में समुंद्री मार्ग से आये आतंकवादियों ने ओपन फायरिंग शुरू कर दी और इसमे 166 लोग मारे गए थे, जिसमे 18 सैनिक थे और करोड़ो की संपत्ति का नुकसान हुआ था। 10 आतंकवादियों में से नौ को मार दिया गया था और अजमल कसाब को मुम्बई पुलिस ने जिंदा पकड़ा था और बाद में उसे फांसी की सजा दी गयी थी।